आपदा प्रभावित क्षेत्रों में मनरेगा कार्यों पर अब तक 6.63 करोड़ की राशि खर्च
वर्ष 2025-26 के लिए 26,481 कार्यों को 446.09 करोड़ रुपये की स्वीकृतिः अपूर्व देवगन

मंडी, 21 सितम्बर। जिला प्रशासन मंडी आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास कार्यों को लगातार गति दे रहा है। भारी बारिश और भूस्खलन से प्रभावित ग्रामीण इलाकों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत अब तक 6.63 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं।
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जिले में कुल 26,481 कार्यों को स्वीकृति प्रदान की गई है, जिनकी अनुमानित लागत 446.09 करोड़ रुपये है। इनमें से 1,498 कार्यों पर काम शुरू हो चुका है। इन कार्यों में ग्रामीण सड़कों, क्षतिग्रस्त नालियों और बह चुके पैदल पुलों के पुनर्निर्माण के साथ-साथ खेती योग्य भूमि को फिर से बहाल करने का कार्य प्रमुखता से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मनरेगा के माध्यम से अब तक लगभग 150 पैदल पुलों और बंद पड़े मार्गों को दोबारा खोला गया है, जिससे दुर्गम गांवों की आवाजाही आसान हो गई है। कृषि भूमि पर जमी मिट्टी और मलबे को हटाकर किसानों को पुनः खेती की सुविधा मिल रही है।

उपायुक्त ने बताया कि आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्य और केंद्र सरकार दोनों ने विशेष प्रावधान किए हैं। राज्य सरकार ने मनरेगा नियमों में बदलाव करते हुए ग्राम पंचायतों को 20 कार्यों की शर्त से मुक्त कर दिया है और भूमि सुधार कार्यों की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी है। इस प्रावधान के तहत 7,846 कार्यों को 120.30 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी जा चुकी है।इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार ने आपदा प्रभावित परिवारों को राहत देते हुए मनरेगा के तहत प्रत्येक जॉब कार्ड धारक परिवार को 170 दिन तक रोजगार उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है, जिसमें 50 अतिरिक्त मानव दिवस शामिल हैं। यह सुविधा मंडी जिले के हजारों परिवारों को सीधा लाभ देगी।

अपूर्व देवगन ने कहा कि जैसे-जैसे बरसात का मौसम थम रहा है, कार्यों की रफ्तार भी बढ़ रही है। यह पहल न केवल आपदा से हुए नुकसान की भरपाई में सहायक सिद्ध होगी , बल्कि ग्रामीणों को आत्मनिर्भरता और बेहतर आजीविका की ओर भी अग्रसर करेगी ।
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सफलता की कहानीः *सरकाघाट क्षेत्र में ई-स्कूटी से बदल रही है स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर*

  • परामर्शदाता को रोगियों के घर-द्वार आवश्यक चिकित्सा सहायता प्रदान करना हुआ आसान

सरकाघाट, 21 सितंबर, 2025-स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच अंतिम व्यक्ति तक सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, नागरिक अस्पताल सरकाघाट को हाल ही में एक विशेष ई-स्कूटी प्रदान की गयी है। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण व दूरदराज क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों तक एचआईवी, यौन संचारित संक्रमण, टीबी, हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों से जुड़ी दवाइयों की होम डिलीवरी, जांच सेवाएं और परामर्श सुविधाएं पहुँचाना है।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा हाल ही में शिमला स्थित अपने आधिकारिक आवास 'ओक ओवर' से स्वास्थ्य विभाग को सौंपे गए 12 ई-स्कूटर में से यह ई-स्कूटी भी एक है। राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के माध्यम से सिविल अस्पताल सरकाघाट को सौंपी गयी यह ई-स्कूटी एक मानवीय आउटरीच मॉडल का हिस्सा है, जिसे पहली बार राज्य स्तर पर लागू किया गया है। इस मॉडल की विशेषता यह है कि यह सतत्, पर्यावरण-अनुकूल और समयबद्ध सेवा वितरण सुनिश्चित करता है।

व्यवस्था परिवर्तन के ध्येय से प्रदेश को आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ा रहे मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की इस पहल को राज्य में स्वास्थ्य सेवा सुधार की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। उनका स्पष्ट संदेश है, "कोई भी नागरिक आवश्यक उपचार से वंचित न रहे।" इस दिशा में ई-स्कूटी जैसे आधुनिक साधनों का उपयोग कर स्वास्थ्य विभाग ने एक नई मिसाल पेश की है।

इस पहल के तहत प्रशिक्षित परामर्शदाता ई-स्कूटी के माध्यम से रोगियों के घर तक पहुंचकर उन्हें आवश्यक चिकित्सा सहायता प्रदान कर रहे हैं। खासकर गंभीर या असमर्थ मरीजों के लिए यह एक जीवनदायिनी सेवा बन सकती है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि यदि यह मॉडल सफल रहता है, तो भविष्य में इसे प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी विस्तारित किया जा सकता है।

सरकाघाट में शुरू हुई यह सेवा न केवल स्वास्थ्य सुविधाओं को जन-जन तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध हो रही है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि तकनीक और मानवीय संवेदनशीलता के संगम से किस प्रकार समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की यह सोच स्वास्थ्य क्षेत्र को नई दिशा देने की क्षमता रखती है। राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना पर्यावरण संरक्षण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप है और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कर्मियों को ई-स्कूटी की तैनाती इस दिशा में एक सार्थक कदम है।

नागरिक अस्पताल सरकाघाट में आईसीटीसी केंद्र में तैनात परामर्शदाता सोनू कुमार पिछले 18 सालों से यहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे एचआईवी, एसआईटी, टीबी जैसे रोगों से ग्रस्त रोगियों की काउंसलिंग करते हैं। ई-स्कूटी मिलने के बाद अब ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सुनिश्चित हो रही है और समय का सदुपयोग भी हो रहा है।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा 12 अगस्त, 2025 से 12 अक्टूबर, 2025 तक प्रदेश के विभिन्न गांवों, निजी व सरकारी स्कूलों के साथ ही रेड रिबन क्लब के माध्यम से स्कूल, कॉलेज में इन रोगों की रोकथाम के प्रति विशेष जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसमें फ्लैस मॉब, पेंटिंग, नारा लेखन और स्वास्थ्य जागरूकता रैली के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। गांव के लोगों को इकठ्ठा कर उनकी काउंसलिंग भी कर रहे हैं। उन्होंने आग्रह किया कि विशेष रूप से युवाओं को अपनी स्वास्थ्य से संबंधित जांच स्वैच्छिक तौर पर अवश्य करवानी चाहिए।