बिलासपुर 23 अगस्त: नगर एवं ग्राम नियोजन, आवास, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक तौर पर तैयार गेहूं, मक्का तथा हल्दी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है। इस तरह का निर्णय लेने वाला हिमाचल प्रदेश देश का अग्रणी राज्य बना है। राजेश धर्माणी आज जिला बिलासपुर के घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के औहर स्थित बीज गुणन फार्म में आत्मा परियोजना के अंतर्गत प्राकृतिक खेती पर आयोजित एक दिवसीय किसान गोष्ठी में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने तथा प्राकृतिक खेती से जुड़े किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए गेहूं पर 60 रूपये प्रति किलोग्राम, मक्का पर 40 रूपये प्रति किलोग्राम तथा कच्ची हल्दी पर 90 रूपये प्रति किलोग्राम न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है। इसके अतिरिक्त गाय के दूध पर 51 रूपये तथा भैंस के दूध पर 61 रूपये प्रति लीटर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा किसानों एवं पशुपालकों की आर्थिकी को मजबूत बनाने की दिशा में ये ऐतिहासिक कदम उठाया है ताकि हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजूबत हो सके।

राजेश धर्माणी ने कहा कि प्रदेश सरकार के इन महत्वपूर्ण निर्णयों के चलते जहां प्रदेश में मिल्कफैड द्वारा दूध खरीद में तीन गुणा वृद्धि दर्ज हुई है तो वहीं कांगड़ा जिला के ढगवार में दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्तर पर दुग्ध सहकारी सभाएं गठित की हैं ताकि पशु पालकों को लाभान्वित किया जा सके। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा किसानों एवं पशुपालकों से दुग्ध सहकारी सभाओं के साथ जुड़ने का भी आह्वान किया। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक खेती से जुड़े किसानों के लिए कृषि सहकारी सभाएं भी गठित की जा रही हैं ताकि इनके माध्यम से प्राकृतिक तौर पर तैयार उत्पादों को बेहतर विपणन की सुविधा मिल सके।

तकनीकी शिक्षा मंत्री ने कृषि, बागवानी, पशुपालन, रेशम तथा मत्स्य विभागों से किसानों, बागवानों तथा पशुपालकों के हित में समन्वित होकर कार्य करने का भी आह्वान किया ताकि मिश्रित प्रयासों से लोगों को वांछित लाभ मिल सके। उन्होंने किसानों व बागवानों की आर्थिकी को सुदृढ़ बनाने के लिए मिश्रित खेती की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने पशु पालकों की सुविधा के लिए 1962 पशु एंबुलेंस को ज्यादा सुदृढ़ एवं व्यावहारिक बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि 1962 हेल्पलाइन को छुट्टी के दिन भी उपलब्धता सुनिश्चित बनाने के लिए मामले को प्रदेश सरकार के समक्ष उठाया जाएगा ताकि निर्बाध तौर पर इस सेवा का लाभ लोगों को मिल सके।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मछुआरों द्वारा दी जाने वाली राॅयल्टी को 15 प्रतिशत से घटाकर आधा करने का निर्णय लिया है तथा भविष्य में इसे पूरी तरह खत्म करने के भी प्रदेश सरकार द्वारा प्रयास किये जाएंगे। साथ ही कहा कि मछली पर भी न्यूतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए राज्य सरकार विचार कर रही है ताकि मछुआरों की आर्थिकी को भी सुदृढ़ किया जा सके। उन्होंने कहा कि जब हमारे किसान, बागवान एवं पशुपालक आर्थिक तौर पर सशक्त होंगे तभी हमारा प्रदेश व देश समृद्ध व खुशहाल होगा।

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में रासायनिक खेती के कारण न केवल हमारे खाद्यान्न पदार्थ दूषित हो रहे हैं बल्कि इनका हमारे स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है तथा समाज में कैंसर जैसी घातक बीमारियां पनप रही हैं। ऐसे में किसानों व बागवानों से प्राकृतिक तौर पर तैयार फल, सब्जियां तथा खाद्यान्नों का उत्पादन करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने युवाओं से खेती के साथ जुड़ने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आईटीआई स्तर पर प्रदेश सरकार ने कृषि, बागवानी तथा पशुपालन पर आधारित पाठयक्रम इसी सत्र से शुरू किये हैं ताकि हमारी युवा पीढ़ी को आधुनिक खेती-बाड़ी एवं पशुपालन तकनीकों के साथ जोड़ा जा सके। इन पाठयक्रमों के माध्यम से आने वाले समय में युवाओं को विदेशों में भी रोजगार प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।

*औहर में 53 करोड़ रूपये से विकसित हो रहा है पर्यटन विकास केंद्र
राजेश धर्माणी ने कहा कि औहर में 53 करोड़ रूपये की लागत से पर्यटन विकास निगम का केंद्र स्थापित किया जा रहा है। इसके अलावा दूसरी तरफ भी लगभग 98 करोड़ रूपये की लागत से इसी केंद्र का दूसरा चरण विकसित किया जाएगा। इस केंद्र के स्थापित हो जाने से न केवल आने जाने वाले पर्यटकों को लाभ मिलेगा बल्कि किसानों, बागवानों, पशु एवं मत्स्य पालकों को भी अपने उत्पाद बेचने की बेहतरीन सुविधा सुनिश्चित होगी।

इससे पहले उन्होंने प्राकृतिक खेती द्वारा तैयार गेहूं के हिम भोग चक्की आटा तथा दलिया के प्रदर्शन का भी अवलोकन किया।

इससे पहले प्रोजेक्ट डायरेक्टर आत्मा डाॅ. रितेश गुप्ता ने मुख्यातिथि का स्वागत करते हुए आत्मा परियोजना के माध्यम से प्राकृतिक खेती पर किसानों व बागवानों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने इस मौके पर जन समस्याएं भी सुनीं।

इस अवसर पर प्राकृतिक खेती के प्रगतिशील किसान ब्रहम दास, विचित्र सिंह तथा परवीन ने भी अपने अनुभव साझा किये तथा दूसरे किसानों को भी प्राकृतिक खेती से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।

इस मौके पर एपीएमसी के अध्यक्ष सतपाल सहित विभिन्न पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधि, कांग्रेस पार्टी से जुड़े पदाधिकारी, विभिन्न विभागों के अधिकारियों सहित कई गणमान्यजन मौजूद रहे।