महिला सशक्तिकरण के लिए नई पहल कदमी, ऊना जिला प्रशासन विधवा और एकल नारियों को देगा सिलाई मशीनें
ऊना, 23 अगस्त. जिला प्रशासन ऊना ने महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सामर्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत नई पहल की है। इसके तहत जिले के बीपीएल परिवारों की विधवा महिलाओं और एकल नारियों को सिलाई मशीनें उपलब्ध करवाई जाएंगी ताकि वे स्वयं का रोजगार शुरू कर सकें और आर्थिक रूप से सुदृढ़ बन सकें।
उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने बताया कि योजना का मकसद जरूरतमंद महिलाओं को स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराना है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें और समाज में सम्मानजनक जीवनयापन कर सकें। उन्होंने कहा कि इस योजना का लाभ 45 वर्ष या उससे कम आयु की विधवा महिलाएं और एकल नारियां उठा सकती हैं, बशर्ते वे ऊना जिले की स्थायी निवासी हों और उनके पास आधार कार्ड तथा पंचायत द्वारा जारी बीपीएल प्रमाण पत्र हो। अधिक जानकारी के लिए उपायुक्त कार्यालय में रेडक्रॉस सोसाइटी शाखा कमरा नंबर 406 में संपर्क किया जा सकता है।
*क्या है सामर्थ्य कार्यक्रम
‘सामर्थ्य’ उपायुक्त ऊना जतिन लाल की परिकल्पना से जन्मा एक नवाचारी कार्यक्रम है, जिसे प्रशासन द्वारा जिला रेड क्रॉस सोसायटी के माध्यम से औद्योगिक इकाइयों के सहयोग से कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य जरूरतमंद छात्राओं और महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल और आर्थिक आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में समर्थन देना है।
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केवीके रामपुर में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत 5 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न
उपायुक्त बोले .... प्रशिक्षणार्थी सीखे ज्ञान को क्लस्टरों में जाकर किसानों के साथ करें सांझा
ऊना, 23 अगस्त। राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन की आत्मा परियोजना के तहत केवीके रामपुर में 5 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस प्रशिक्षण शिविर में ऊना, हरोली और बंगाणा विकास खंडों के 34 सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों (सीआरपी) ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य प्रतिभागियों को प्राकृतिक खेती की तकनीकों, लाभों और व्यावहारिक पहलुओं की जानकारी देना था ताकि वे अपने-अपने क्षेत्रों में किसानों को जागरूक कर अधिक से अधिक लोगों को रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती से जोड़ सकें।
उपायुक्त ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल किसानों की आमदनी में बढ़ौतरी करती है बल्कि यह स्वास्थ्यवर्धक भोजन और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार का भी माध्यम है। उन्होंने सभी सीआरपी से आग्रह किया कि वे अपने-अपने क्लस्टरों में जाकर किसानों के साथ इस ज्ञान को साझा करें और उन्हें प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करें।
इस दौरान प्रतिभागियों ने उपायुक्त से अपने अनुभव और विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण ने उन्हें प्राकृतिक खेती की गहराई से समझ दी है और वे अब अपने क्षेत्रों में किसानों को अधिक प्रभावशाली तरीके से मार्गदर्शन कर सकेंगे। इसके अलावा उपायुक्त ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए।
इस मौके पर आतमा परियोजना निदेशक वीरेंद्र बग्गा, डॉ संजय कुमार, आतमा परियोजना की उप निदेशक शामली गुप्ता, तनुजा कपूर, डॉ. योगिता शर्मा, डॉ. मीनाक्षी सैनी सहित अन्य उपस्थित रहे।