जिला की टीबी मुक्त पंचायतों के प्रतिनिधियों को प्रशासन ने किया सम्मानित
लगातार दो वर्षों से टीबी मुक्त 11 पंचायतों को गांधी जी की सिल्वर प्रतिमा देकर किया गया सम्मानित
डीसी राहुल कुमार की अपील— जिला को पूरी तरह से टीबी मुक्त बनाने के लिए पंचायत प्रतिनिधि निभाएं सक्रिय भूमिका
बिलासपुर, 23 अगस्त 2025-जिला मुख्यालय स्थित बचत भवन में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, बिलासपुर द्वारा शनिवार को टीबी मुक्त पंचायतों के प्रतिनिधियों को सम्मानित करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता उपायुक्त बिलासपुर राहुल कुमार ने की। कार्यक्रम में जिला प्रशासन की ओर से इस वर्ष टीबी मुक्त घोषित 29 पंचायतों के प्रतिनिधियों को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।
उपायुक्त राहुल कुमार ने कहा कि यह जिला के लिए गर्व की बात है कि पिछले वर्ष जिन 29 पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया गया था, उनमें से 11 पंचायतें लगातार दूसरे वर्ष भी इस सूची में शामिल हुई हैं। इन पंचायतों को सिल्वर कैटेगरी में रखते हुए गांधी जी की सिल्वर प्रतिमा देकर सम्मानित किया गया। इनमें गतवाड, लंजटा, मरहाणा, मैहरी काथला, सलोन उपरली, कोठीपुरा, बैहल, लैहरी, रोड जामण, तरसूह और टोबा संगवाणा पंचायतें शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त इस वर्ष 18 नई पंचायतों को पहली बार टीबी मुक्त घोषित किया गया है, जिन्हें ब्रॉन्ज कैटेगरी में स्थान दिया गया है। इनमें दाबला, घण्डालवीं, हम्बोट, कसारु, कोट, कुठेड़ा, संडयार, बलघाड़, गालियां, जांगला, झबोला, नघ्यार, विजयपुर, द्रोबड़, कचौली, सुई सुरहाड, कोटखास और माकड़ी पंचायतें शामिल हैं। वहीं, पिछले वर्ष की 18 पंचायतें जो सूची में शामिल थीं, बहुत कम अंतर से इस बार इसमें स्थान नहीं बना पाईं। इस पर उपायुक्त ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि इन पंचायतों को पुनः सूची में शामिल करने के लिए विशेष प्रयास किए जाएं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 में लगभग 37 पंचायतों ने टीबी मुक्त पंचायत का दावा किया था, जिनमें से 29 पंचायतें इस बार प्रमाणित की गई हैं।
उपायुक्त ने कहा कि जिला को पूरी तरह से टीबी मुक्त बनाने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने आह्वान किया कि सभी पंचायत प्रतिनिधि स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर पंचायत स्तर पर विशेष जागरूकता अभियान चलाएं और लोगों को नियमित जांच तथा समय पर उपचार के लिए प्रेरित करें। उन्होंने यह भी कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों के सुझाव और प्रयासों से ही टीबी उन्मूलन का लक्ष्य समयबद्ध तरीके से पूरा किया जा सकता है।
इस अवसर पर उपायुक्त ने जिला वासियों से भी अपील की कि वे आशा वर्करों और हेल्थ वर्करों का पूरा सहयोग करें, क्योंकि यदि टीबी को जड़ से मिटाना है तो इसका समय पर और प्रारंभिक निदान बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अक्सर देखा गया है कि कुछ लोग टीबी के लक्षणों को छिपाते हैं, जिससे न केवल उनका रोग बढ़ता है बल्कि यह संक्रमण एक से दो और अधिक व्यक्तियों तक फैल सकता है। उपायुक्त ने कहा कि वर्तमान समय में हर व्यक्ति को जागरूक रहना आवश्यक है और जरा सा भी संदेह होने पर तुरंत जांच करवानी चाहिए, ताकि टीबी पर नियंत्रण पाया जा सके और इसे पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य समय पर हासिल किया जा सके।
उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि सभी पंचायतों में पंचायत प्रतिनिधियों के सहयोग से विशेष अभियान चलाया जाए, ताकि लोगों तक जागरूकता संदेश तेजी से पहुंचे और टीबी की रोकथाम एवं उपचार सुनिश्चित हो सके।
कार्यक्रम के दौरान यह जानकारी भी दी गई कि किसी पंचायत को टीबी मुक्त घोषित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की एसओपी का पालन अनिवार्य है। इसके अनुसार प्रति 1,000 जनसंख्या पर कम से कम 30 संभावित रोगियों की जांच होनी चाहिए तथा 1,000 की आबादी में अधिकतम एक या उससे कम रोगी होना चाहिए। इसके साथ ही कम से कम 85 प्रतिशत रोगियों का सफलतापूर्वक उपचार पूरा होना आवश्यक है।
उपायुक्त ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को टीबी मुक्त घोषित पंचायतों पर निरंतर निगरानी रखने के निर्देश दिए ताकि आने वाले वर्षों में भी ये पंचायतें सूची में बनी रहें और जिला स्तर पर टीबी उन्मूलन की दिशा में निर्णायक सफलता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने विश्वास जताया कि पंचायत प्रतिनिधियों, स्वास्थ्य विभाग और आम नागरिकों के संयुक्त प्रयास से बिलासपुर जिला निकट भविष्य में पूर्ण रूप से टीबी मुक्त बनकर उभरेगा।