घुमारवीं (बिलासपुर), 29 अक्तूबर: नगर एवं ग्राम नियोजन, आवास, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक एवं औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में पाठ्यक्रम के साथ-साथ खेलकूद, सांस्कृतिक और सह-पाठयक्रम गतिविधियां अहम भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान अर्जन तक सीमित न रहकर विद्यार्थियों के व्यक्तित्व, आत्मविश्वास और सामाजिक उत्तरदायित्व के विकास की दिशा में भी कार्य करना चाहिए।

राजेश धर्माणी आज घुमारवीं क्षेत्र की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला दधोल में आयोजित तीन दिवसीय जिला स्तरीय लड़के एवं लड़कियों की सांस्कृतिक प्रतियोगिता के शुभारंभ अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इस तीन दिवसीय सांस्कृतिक प्रतियोगिता में जिला के 18 विद्यालयों के लगभग 130 विद्यार्थी वाद्य संगीत, संस्कृत गीतिका, समूह गायन, श्लोकोच्चारण, नाटक, सुगम संगीत, शास्त्रीय संगीत तथा लोक नृत्य जैसी विभिन्न गतिविधियों में भाग लेकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे।
उन्होंने कहा कि ऐसे खेलकूद एवं सांस्कृतिक आयोजनों से विद्यार्थियों में आत्म-अभिव्यक्ति की क्षमता विकसित होती है और वह अपने अंदर छिपी प्रतिभा को पहचान पाते हैं। इस तरह के आयोजनों के माध्यम से जब बच्चे मंच पर प्रदर्शन करते हैं, तो उनमें आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति की भावना का विकास होता है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को केवल प्रथम, द्वितीय या तृतीय स्थान तक सीमित न रखकर भागीदारी की भावना को बढ़ावा देना चाहिए ताकि वह इस दिशा में आगे बढ़ सकें।
उन्होंने कहा कि विद्यालयों में संगीत अथवा शारीरिक शिक्षा के शिक्षक न होने के बावजूद अध्यापक अपने कर्तव्यों से बढ़कर बच्चों को तैयार करने में जो मेहनत कर रहे हैं, वह प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा कि अध्यापकों का अपने कर्तव्य के प्रति यह समर्पण सच्ची निष्ठा का परिचायक है।

राजेश धर्माणी ने कहा कि राज्य सरकार इस दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है कि राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार योजना में ऐसे शिक्षकों को भी सम्मानित किया जाए जो अपने विषय से परे जाकर विद्यार्थियों के व्यक्तित्व निर्माण और सांस्कृतिक विकास में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन केवल प्रतियोगिता तक सीमित नहीं होने चाहिए, बल्कि वह हमारी संस्कृति, परंपरा और मातृभाषा के संरक्षण व संवर्धन के भी माध्यम हैं।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश देवभूमि है, जहां की लोक-संस्कृति और लोक-भाषाएं हमारी पहचान हैं। ऐसे कार्यक्रमों से बच्चों में अपनी जड़ों और परंपराओं के प्रति गर्व की भावना जागृत होती है तथा उन्हें जुड़े रहने का अवसर प्रदान करती हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से अपनी समृद्ध संस्कृति को संजोकर रखने तथा इससे निरंतर जुड़े रहने का भी आह्वान किया।

तकनीकी शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि वह समाज की सबसे बड़ी जिम्मेदारी को निभा रहे हैं। शिक्षक हमारे समाज का महत्वपूर्ण केंद्र बिंदू है जिनके समर्पण से ही भविष्य की नींव मजबूत होती है। उन्होंने शिक्षकों से शिक्षा क्षेत्र में नवाचार और गुणवत्ता सुधार की दिशा में निरंतर प्रयासरत रहते हुए पूरी कर्तव्यनिष्ठा एवं समर्पण भाव के साथ विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण की दिशा में निरंतर कार्य करने का आह्वान किया।

इससे पहले उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर उप शिक्षा निदेशक रेनू कौशल, नरेश चंदेल, निशा गुप्ता, डाइट प्राचार्य राकेश मनकोटिया, विभिन्न स्कूलों के प्रधानाचार्य एवं शिक्षकगण, विभिन्न पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधियों सहित बड़ी संख्या में अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।