हमीरपुर के 5 पुलिस कर्मचारियों को मिले गृह मंत्रालय के उत्कृष्ट सेवा पदक
हमीरपुर 02 अगस्त। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सराहनीय सेवाएं प्रदान करने वाले जिला हमीरपुर के पांच पुलिस कर्मचारियों मानक मुख्य आरक्षी रीता देवी, मानक मुख्य आरक्षी निर्मल सिंह, मानक मुख्य आरक्षी राजकुमारी, मानक मुख्य आरक्षी रवि कुमार और मानक मुख्य आरक्षी हिमानी चौहान को उत्कृष्ट सेवा पदक से अलंकृत किया है।
शनिवार को यहां पुलिस लाइन परिसर में आयोजित एक समारोह में उपायुक्त अमरजीत सिंह, एसपी भगत सिंह ठाकुर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने पांचों पुलिस कर्मचारियों को उत्कृष्ट सेवा पदक प्रदान किए।
इस अवसर पर सभी पदक विजेताओं को बधाई देते हुए उपायुक्त अमरजीत सिंह ने कहा कि हमीरपुर जैसे छोटे से जिले के पांच पुलिस कर्मचारियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय का प्रतिष्ठित पदक मिलना एक गौरव का विषय है। इससे सभी पुलिस कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा और वे अपने-अपने कार्य क्षेत्रों में जोश, उच्च कर्तव्यनिष्ठा एवं ईमानदारी के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित होंगे। जिला में पुलिस की कार्यप्रणाली की सराहना करते हुए उपायुक्त ने कहा कि दिन-रात सेवाएं दे रहे पुलिस कर्मचारियों के कल्याण तथा उन्हें बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए एसपी भगत सिंह ठाकुर ने कई सराहनीय कदम उठाए हैं। इनमें पुलिस कर्मचारियों के लिए कैंटीन, खेलकूद और अन्य सुविधाएं तथा सैलरी अकाउंट को बीमा योजनाओं से लिंक करना शामिल है।
इससे पहले, उपायुक्त, अन्य वरिष्ठ अधिकारियों, सभी पदक विजेताओं एवं उनके परिजनों का स्वागत करते हुए एसपी भगत सिंह ठाकुर ने कहा कि आज के दौर में अधिकारियों और कर्मचारियों का मूल्यांकन बहुत ही सुनियोजित, पारदर्शी और सटीक प्रणाली के साथ किया जाता है। कर्तव्यनिष्ठा के साथ कार्य करने वाले पुलिस कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने तथा अन्य कर्मचारियों को प्रेरित करने के लिए ही गृह मंत्रालय ने 2019-20 से उत्कृष्ट सेवा पदक प्रदान करने की योजना आरंभ की है। पहली बार में ही जिला हमीरपुर के 5 कर्मचारियों को यह पदक मिला है। पांचों पदक विजेताओं की सेवाओं की सराहना करते हुए एसपी ने कहा कि इन सभी ने अपने-अपने कार्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य किया है तथा ये अन्य पुलिस कर्मचारियों के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरे हैं।
एएसपी राजेश कुमार ने भी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, अन्य सभी अतिथियों, पदक विजेताओं और उनके परिजनों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर एडीसी अभिषेक गर्ग, विजिलेंस की एएसपी रेणु शर्मा, एसडीएम संजीत सिंह, होमगार्ड्स के कमांडेंट विनय कुमार, डीएसपी नितिन चौहान, हरीश गुलेरिया और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
====================================
सड़क दुर्घटना के घायलों का होगा डेढ़ लाख तक कैशलैस इलाज
सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय ने स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से की है व्यवस्था
हमीरपुर 02 अगस्त। लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता एवं जिला सड़क सुरक्षा समिति के सदस्य सचिव दीपक कपिल ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों का तुरंत उपचार सुनिश्चित करने के लिए सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सहयोग से एक विशेष व्यवस्था की है। हिमाचल प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग भी इस योजना को लागू कर रहा है।
उन्होंने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों का अब आयुष्मान भारत योजना के तहत सूचीबद्ध सभी अस्पतालों और अन्य सूचीबद्ध अस्पतालों में डेढ लाख रुपये तक का मुफ्त एवं कैशलैस इलाज हो सकता है। सड़क दुर्घटना के बाद 24 घंटे के भीतर अस्पताल में दाखिल होने पर यह सुविधा मिलेगी और घायल व्यक्ति का अधिकतम सात दिन तक कैशलैस इलाज किया जा सकता है।
दीपक कपिल ने बताया कि घायलों की तुरंत मदद के लिए अब पुलिस, एंबुलेंस और अन्य सेवाओं के हेल्पलाइन नंबरों को भी इस योजना के साथ लिंक किया जा रहा है। कोई भी व्यक्ति 112 नंबर डायल करके सड़क दुर्घटना की सूचना दे सकता है। हेल्पलाइन नंबर 112 का ऑपरेटर कॉलर की डिमांड के अनुसार अन्य हेल्पलाइन नंबरों जैसे-108, 102 और 1033 इत्यादि को भी लिंक कर सकता है, ताकि घायल व्यक्ति को तुरंत निकटवर्ती सूचीबद्ध अस्पताल तक पहुंचाया जा सके।
अधिशाषी अभियंता ने बताया कि सूचीबद्ध अस्पताल को घायल व्यक्ति का डेढ़ लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त एवं कैशलैस करना होगा। कोई भी सूचीबद्ध अस्पताल घायल को दाखिल करने से मना नहीं कर सकता है। डेढ़ लाख रुपये तक के इलाज के बाद घायल व्यक्ति को अस्पताल से डिस्चार्ज माना जाएगा और उसे शेष इलाज का खर्चा अन्य माध्यमों से जुटाना होगा। इलाज के बाद सूचीबद्ध अस्पताल को संबंधित प्रदेश की स्वास्थ्य एजेंसी से क्लेम के लिए आवेदन करना होगा। योजना से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के हेल्पलाइन नंबर 14555 पर भी संपर्क किया जा सकता है।
दीपक कपिल ने कहा कि सड़क दुर्घटना के बाद अगर घायलों की तुरंत मदद की जाए तो कई लोगों की बहुमूल्य जानें बच सकती हैं। ऐसी दुर्घटनाओं के बाद ‘गोल्डन ऑवर’ के दौरान यानि एक घंटे के भीतर घायलों को प्राथमिक उपचार की तत्काल आवश्यकता होती है। इसलिए, किसी भी सड़क दुर्घटना के प्रत्यक्षदर्शी को घायलों की मदद के लिए तुरंत आगे आना चाहिए।