ऊना, 22 जुलाई। खरीफ सीजन की प्रमुख फसल मक्की इस समय फॉल आर्मी वर्म के खतरे की जद में है। यह कीट रातों-रात पत्तियों और भुट्टों को नुकसान पहुंचाकर किसानों की मेहनत पर पानी फेर सकता है। इस चुनौती से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल सरकार ने कृषि विभाग को किसानों के लिए त्वरित और प्रभावशाली कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
मक्की को बचाने के लिए कृषि विभाग के पास कौराजेन और क्लोरपायरीफास 20 ई. सी. कीटनाशक सभी विकास खंडों में उपलब्ध है। कौराजेन का स्प्रे विभागीय अधिकारियों के परामर्श अनुसार मक्की के पत्तों के भंवर में करें। स्प्रे को सुबह के शुरुआती घंटों में या शाम के समय में करना चाहिए और स्प्रे नोजल को पत्ती भंवर की ओर रखा जाना चाहिए, जिसमें लार्वा आमतौर पर फीड करते हैं।
कृषि विभाग के उप-निदेशक डॉ. कुलभूषण धीमान ने बताया कि खरीफ मक्का की फसल में फॉल आर्मी वर्म का अधिक प्रकोप देखने को मिलता है। इस कीट की व्यस्क मादा मोथ पौधों की पत्तियों और तनों पर अण्डे देती है। एक बार में मादा 50-200 अण्डे देती है। यह अण्डे 3-4 दिन में फूट जाते हैं तथा इनसे निकलने वाले लार्वा 14-22 दिन तक इस अवस्था में रहते हैं। कीट के लार्वा के जीवन क्र की तीसरी अवस्था तक इसकी पहचान करना मुश्किल है, लेकिन चौथी अवस्था में इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है। डॉ. धीमान ने कहा कि चौथी अवस्था में लार्वा के सिर पर अंग्रेजी के उल्टे ‘वाई’ आकार का सफेद निशान दिखाई देता है। इसके लार्वा पौधों की पत्तियों को खुरचकर खाता है जिससे पत्तियों पर सफेद धारियां दिखाई देती हैं। जैसे-जैसे लार्वा बड़ा होता है, पौधों की ऊपरी पत्तियों को खाता है और बाद में पौधों के भुट्टे में घुसकर अपना भोजन प्राप्त करता है।
उप-निदेशक ने कहा कि पत्तियों पर बडे़ गोल-गोल छ्रिद्र नजर आते हैं, लार्वा द्वारा त्यागा मल भी पौधों की पत्तियों पर नजर आता है। लारवल पीरियड पूर्ण कर ये अपनी प्युपल अवस्था में आता है। यह कीट बहु फसल भक्षी है, जो 80 से अधिक फसलों को नुकसान पहुंचाता है। अगर समय रहते फॉल आर्मी वर्म कीट की पहचान कर इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो आने वाले समय में मक्का एवं अन्य फसलों में भारी तबाही हो सकती है। फसल के लिए लार्वा अवस्था हानिकारक होती है। परन्तु कीट के सम्पूर्ण नियंत्रण हेतु इसके जीवन काल की हर अवस्था को नष्ट करना जरूरी है। उन्होंने किसानों से कहा कि भूमि की गहरी जुताई करें, ताकि कीट की लार्वा अवस्था या प्यूपा भूमि में गहरा दब जाए।
साथ ही श्री कुलभूषण ने बताया कि कद्दूवर्गीय फसलों जैसे लौकी, तारी, ककड़ी, करेला, कद्दू आदि में फल शेदक मक्खी का प्रकोप बहुत आम होता है और यह फसल को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं यह मक्खी फलों के अंदर अंडे देती है जिससे फल सड़ने लगते हैं और बाजार में बेचने लायक नहीं रहते। उन्होंने बताया कि फू्रट फ्लाई ट्रेप एक प्रभावी और पर्यावरण अनुकल तरीका है जिससे किसान बिना रासायनिक स्प्रे से भी इस समस्या से निपट सकत हैं।
*फू्रट फ्लाई टै्रप के लाभ
उन्होंने बताया कि फू्रट फ्लाई ट्रेप रसायन मुक्त समाधान है जिससे फलों पर कीटनाशें का अवशेष नहीं रहता। इसके उपयोग से बार-बार स्प्रे करने की जरूरत की पड़ती जिससे लागत कम आती है। यह पर्यावरण व मधुमक्खियों के लिए सुरक्षित तथा उपज और गुणवत्ता दोनों को सुरक्षित रखता हैं।
*अधिक जानकारी के लिए कर सकते हैं सम्पर्क
कुलभूषण धीमान ने कहा कि अधिक जानकारी के लिए विकास खंड अम्ब, विषयवाद विशेषज्ञ प्यारो देवी मोबाइल नम्बर 86289-45916, विकास खंड बंगाणा में सतपाल धीमान मोबाइल नम्बर 94181-60124, विकास खंड गगरेट में नवदीप कौंडल मोबाइल नम्बर 82191-70865, विकास खंड हरोली में श्याम लाल मोबाइल नम्बर 98053-06198 और विकास खंड ऊ ना में डॉ खुशबू राणा मोबाइल नम्बर 82196-16530 पर सम्पर्क किया जा सकता है।