चण्डीगढ़, 04.08.25 : आर्य समाज, सैक्टर 7 बी में वेद प्रचार सप्ताह के अन्तर्गत, श्रावणी पर्व धूमधाम से संपन्न हो गया है। इस सुअवसर पर आर्य जगत के सुप्रतिष्ठित विद्वान आचार्य राजू वैज्ञानिक ने प्रवचन के दौरान कहा कि वेद निष्पक्ष हैं। वेद के योगिक शब्दों के अर्थों का अंतर समझना अति आवश्यक है। इसमेंं रूढ़ि शब्द नहीं हैं। वेद में पुरुष का अर्थ जीवात्मा से है। वह शरीर में रहने वाला नगर का स्वामी है। जीवात्मा न ही पुरुष और न ही महिला। पुरुष में सब कुछ आ जाता है। मनुष्य उन्नति के लिए पैदा हुआ है। उन्नति दो प्रकार की है प्रथम भौतिक और द्वितीय आध्यात्मिक उन्नति। केवल सांसारिक उन्नति को प्राप्त करके मुक्ति के पथ पर नहीं बढ़ा जा सकता। इसलिए सांसारिक सुखों को अंतिम सुख न माने। प्रातः कालीन कार्यक्रम यज्ञ ब्रह्मा आचार्य राजू वैज्ञानिक - दिल्ली यज्ञ सहयोगी-आचार्य अमितेश कुमार-पुरोहित द्वारा संपन्न कराया गया ऋषि लंगर के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।