पंचकूला, 09.06.25- : पंचकूला जिले में मोरनी हिल्स में निर्मित शिवधाम आश्रम में आज सुधांशु महारा के दर्शन करने को हजारों गुरु भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। सभी भक्त अपने पाप ताप के प्रायश्चित के लिए गुरु पूर्णिमा महोत्सव के पावन अवसर पर पंजाब एवं हरियाणा सहित देश के अन्य राज्यों से भी आए। पूज्य श्री सुधांशु जी महाराज ने उपस्थित भक्तों को कहा कि गुरु पूर्णिमा पर्व पर अपनी पाप ताप प्रायश्चित करने, जीवन में नया नियम धारण करने, नई दृष्टि पाने के लिए तथा अपनी दिनचर्या व्यवस्थित हो, इसके लिए भक्त अपने सद्गुरु के पास जाकर खुद का नवीनीकरण का अवसर ढूंढता है, उसके जीवन में नित्य निरन्तर मजबूती आती है। परम पूज्य महाराजश्री जी ने आगे कहा कि जब हम दीपावली का पर्व आने के एक महीना पूर्व घर की साफ सफाई आन्तरिक एवं बाह्य रूप से करते हैं, उसी तरह भक्त भी गुरु पूर्णिमा महोत्सव भी एक महीना पूर्व गुरुदेव के दर्शन करके खुद को तरोताजा एवं पारिवारिक खुशहाली की कामना करता है और सद्गुरु उन्हें आशीष देते हैं।
सुधांशु महाराज ने विशाल जन समुदाय बताया की विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए, ऋषियों के ज्ञान और दृष्टिकोण से अपने राष्ट्र धर्म और संस्कृति के लिए हरसंभव कार्य करने की प्रेरणा दी और कहा कि भाग्य निर्माण के लिए सेवा ही सबसे बड़ा तप है। अपनी किस्मत को चमकाने के लिए गुरु के मार्गदर्शन में हर कार्य श्रद्धापूर्वक करें। उन्होंने आदिनाथ भगवान शिव की कृपा भक्तों पर कैसे बरसती है इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी और कहा कि सच्ची खुशी भगवान शिव की कृपा से ही मिलती है। इस धरती पर भक्तों के कल्याण हेतु सद्गुरु अवतरित होते हैं।
जब हम दीपावली का पर्व आने के एक महीना पूर्व घर की साफ सफाई आन्तरिक एवं बाह्य रूप से करते हैं, उसी तरह भक्त भी गुरु पूर्णिमा महोत्सव भी एक महीना पूर्व गुरुदेव के दर्शन करके खुद को तरोताजा एवं पारिवारिक खुशहाली की कामना करता है और सद्गुरु उन्हें आशीष देते हैं। गुरूजी ने नशा मुक्ति पर सन्देश देते हुए बताया कि आप कौआ के साथ बैठते है या हंस के साथ बैठते है। देखना आप को है कि जिसकी संगत करोगे वैसे ही असर देखने को मिलेगा इसलिए आध्यत्मिक, सादगी वाले लोगों से संगती चाहिए और किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना चाहिए।
कार्यक्रम में महिला संकीर्तन मण्डल द्वारा गुरुपूर्णिमा के अवसर पर बजा लो ढ़ोल स्वागत में, मेरे गुरुदेव आएं हैं,जन्म जन्म का साथ है गुरुदेव से हमारा,,,, इत्यादि भजनों से गुरूजी की महिमा का गुणगान किया।