CHANDIGARH, 18.09.25-प्रो. राधाकांत राथो, संकायाध्यक्ष (शैक्षणिक), स्‍नातकोत्तर चिकित्‍सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्‍थान, चण्‍डीगढ़ की अध्‍यक्षता में आज 17 सितम्‍बर, 2025 को हिंदी दिवस का आयोजन किया गया। उन्होंने इस अवसर पर संस्थान के डॉ. तुलसीदास पुस्तकालय में हिंदी पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के साथ-साथ संस्थान के निदेशक प्रो. विवेक लाल का संस्थान के कार्मिकों के नाम हिंदी दिवस पर संदेश जारी किया।

प्रो. विवेक लाल ने हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर संस्‍थान के कार्मिकों के नाम संदेश में उद्धृत किया कि हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली हिंदी भाषा हमारी राष्ट्रीय एकता की महत्वपूर्ण कड़ी है। हालांकि, भारत की सभी भाषाएं साहित्यिक रूप से उन्नत एवं समृद्ध है किंतु हिंदी सबसे लोकप्रिय भाषा है जो सही मायनों में भारतीय संस्कृति की संवाहक और भारतीय अस्मिता की द्योतक है। इसलिए संविधान निर्माताओं ने 14 सितंबर, 1949 को इसे संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। तभी से प्रत्‍येक वर्ष 14 सितंबर का दिन हिन्‍दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस हमें हिन्‍दी के प्रति अपने प्रेम और दायित्‍व को निष्‍ठापूर्वक कर्त्तव्‍य में परिणत करने की याद दिलाता है।

उन्होंने उल्लेख किया कि राजभाषा हिंदी देश के लोगों को एक सूत्र में पिरोने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। चिकित्‍सा संस्‍थान में कार्य करने के नाते हमारी हिन्‍दी में काम करने के प्रति जिम्‍मेदा‍री और भी अधिक बढ़ जाती है क्‍योंकि हमारा सीधा सम्‍पर्क आम लोगों, जो इलाज करवाने के लिए हमारे संस्‍थान में आते हैं तथा रोग से भयभीत होते हैं, के साथ होता है।

प्रो. संजय भदादा, नोडल अधिकारी (राजभाषा) ने उपस्थित अधिकारियों एवं कार्मिकों को राजभाषा प्रतिज्ञा अर्थात् भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 343 और 351 तथा राजभाषा संकल्‍प 1968 के आलोक में हम, संस्थान के कार्मिक यह प्रतिज्ञा करते हैं कि अपने उदाहरणमय नेतृत्‍व और निरंतर निगरानी से; अपनी प्रतिबद्धता और प्रयासों से; प्रशिक्षण और प्राइज़ से अपने साथियों में राजभाषा प्रेम की ज्‍योति जलाये रखेंगे, उन्‍हें प्रेरित और प्रोत्‍साहित करेंगे; अपने अधीनस्‍थ के हितों का ध्‍यान रखते हुए; अपने प्रबंधन को और अधिक कुशल और प्रभावशाली बनाते हुए राजभाषा हिंदी का प्रयोग, प्रचार और प्रसार बढ़ाएंगे।