चण्डीगढ़-02.08.25- : आर्य समाज, सैक्टर 7 में वेद प्रचार सप्ताह के अन्तर्गत, श्रावणी पर्व के सुअवसर पर आर्य जगत के सुप्रतिष्ठित विद्वान आचार्य राजू वैज्ञानिक ने प्रवचन के दौरान कहा कि मनुष्य को सद्गति और परम गति को प्राप्त करना चाहिए। निष्कृष्ट गति को प्राप्त न करें। जीव कर्म करने में स्वतंत्र है। उसे हर कार्य सोच समझकर करने चाहिए। हर बीज में संभावना होती है वह या तो वृक्ष बनता है या फिर बंजर धरती में खुद अपना अस्तित्व खो देता है। नदी या तो सागर में मिल जाती है या मरुस्थल को प्राप्त होती है। ईश्वर न्याय करता है मनुष्य जैसा कर्म करता है, उसे वैसा ही फल देता है वह न तो कम और न ही ज्यादा फल देता है। परमेश्वर सर्वज्ञ, गुणों से युक्त और राग द्वेष रहित है वह अन्याय नहीं कर सकता। आजकल लोग अपने कर्मों का दोष ईश्वर पर मढ़ते हैं जो सर्वदा गलत है। जीव कर्म फल निर्धारित नहीं कर सकता। उसकी अपनी गलतियां सजा के रूप में वापस आती हैं। प्रत्येक मनुष्य को सोच समझ और विचार करके कर्म करने चाहिए। कर्म करने से पूर्व फल, प्रभाव और परिणाम के बारे में सोचना अति आवश्यक है। शांति आनंद और सुख को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। सही कर्म करने से नहीं चूकना चाहि। जो शुभ कर्म है उसे तत्काल कर देना चाहिए। ईश्वर की प्रकृति का नियम है जो हम करते हैं वही हमें प्राप्त होता है। प्रकृति आगमन पर अभिनंदन करती है जबकि चले जाने पर क्रंदन नहीं करती। कार्यक्रम से पूर्व पं. उपेन्द्र आर्य, भजनोपदेशक भजन प्रस्तुत करते हुए कहा - आसान होगा सफर जिंदगी का गैरों को अपना बना कर तो देखो आदि से उपस्थित लोगों को आत्म विभोर कर दिया। प्रातः कालीन कार्यक्रम यज्ञ ब्रह्मा आचार्य राजू वैज्ञानिक - दिल्ली यज्ञ सहयोगी-आचार्य अमितेश कुमार-पुरोहित द्वारा संपन्न कराया गया जबकि भजन पं. उपेन्द्र आर्य भजनोपदेशक द्वारा प्रस्तुत किए गए। यह श्रावणी पर्व 3 अगस्त, रविवार को संपन्न होगा।