सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार-2026 के लिए नामांकन आमंत्रित, 30 सितम्बर तक कर सकते हैं ऑनलाइन अप्लाईऊना, 24 मई. भारत सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में विशिष्ट सेवा, नवाचार और नेतृत्व के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार-2026 के लिए नामांकन आमंत्रित किए गए हैं। यह वार्षिक राष्ट्रीय पुरस्कार व्यक्तियों एवं संस्थाओं द्वारा आपदा जोखिम न्यूनीकरण, तत्परता, प्रतिक्रिया और पुनर्वास में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रदान किया जाता है।जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने जानकारी देते हुए बताया कि नामांकन की अंतिम तिथि 30 सितम्बर 2025 निर्धारित की गई है। इच्छुक व्यक्ति अथवा संस्थान https://awards.gov पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार न केवल आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में किए गए कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाता है, बल्कि यह दूसरों को भी प्रेरित करता है कि वे संकट की घड़ी में समाज की सेवा में अग्रणी भूमिका निभाएं। उपायुक्त ने क्षेत्र के सभी पात्र व्यक्तियों, संगठनों एवं संस्थानों से आग्रह किया है कि वे समय रहते अपने नामांकन प्रस्तुत करें और इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए दावा पेश करें।
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चुनाव आयोग के 18 नवाचारों पर शुरू हुआ कार्यान्वयन, हिमाचल में चुनाव प्रक्रिया होगी और अधिक पारदर्शी और प्रभावी
ऊना, 24 मई. भारत निर्वाचन आयोग द्वारा देशभर में चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी, समावेशी और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने हेतु आरंभ की गई 18 नवाचारी पहलों को हिमाचल प्रदेश में प्रभावी रूप से लागू किया जा रहा है। जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने बताया कि प्रदेश की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुश्री नंदिता गुप्ता ने इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
उन्होंने मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा शिमला से जारी प्रेस विज्ञप्ति का हवाला देते हुए बताया कि इन नवाचारों को छह प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जिनमें मतदाताओं, राजनीतिक दलों, प्रक्रियागत सुधार, कानूनी प्रावधान, चुनाव कार्मिकों और निर्वाचन आयोजन से जुड़े प्रशासनिक सुधार शामिल हैं।
*मतदाताओं के हित सर्वोपरि
जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि एक मतदान केंद्र पर अधिकतम 1200 मतदाताओं की सीमा तय की गई है, जिससे मतदान केंद्रों कतारों और भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। बहुमंजिला इमारतों एवं घनी कॉलोनियों में अतिरिक्त मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे। मृत्यु पंजीकरण की जानकारी अब सीधे भारत के महापंजीयक के डेटाबेस से प्राप्त कर मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया को तीव्र किया जाएगा।
*राजनीतिक दलों के साथ समन्वय
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि प्रदेश में जिला एवं उप-मंडल स्तर पर सर्वदलीय बैठकों का आयोजन हुआ जिनमें क्रमशः 57 और 200 राजनीतिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। आयोग ने विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों के साथ संवाद स्थापत किया। इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट में बूथ लेवल एजेंट्स के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए।
*प्रक्रियागत सुधार और कानूनी प्रावधान
उपायुक्त ने बताया कि प्रेस विज्ञप्ति में इस बात का भी उल्लेख है कि निर्वाचन सेवाओं के लिए नया ईसीआइएनइटी डैशबोर्ड लॉन्च किया गया है जिस पर सभी सेवाएं एक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगी। डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) का भी समाधान किया गया है और अब प्रत्येक ईपीआईसी नंबर अद्वितीय होगा। 28 प्रमुख हितधारकों की पहचान की गई है ,जिनमें मतदाता, चुनाव अधिकारी, राजनीतिक दल, प्रतयाशी आदि शामिल हैं।यों के अनुसार प्रशिक्षध्ण सामग्री तैयार की जा रही है।
*निर्वाचन कार्मिकों के सशक्तिकरण व प्रशासनिक सुधार पर बल
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने प्रेस विज्ञप्ति में इस बात का भी जिक्र किया है कि आयोग निर्वाचन कार्मिकों के सशक्तिकरण पर बल दे रहा है। बूथ लेवल अधिकारियों को मानक फोटो पहचान पत्र दिए जा रहे हैं। अब तक 3 हजार से अधिक बूथ पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अगामी वर्षों में 1 लाख बीएलओ पर्यवेक्षकों के प्रशिक्षण का लक्ष्य है। हिमाचल प्रदेश से पहला बैच 26 -27 मई को प्रशिक्षण प्राप्त करेगा। राज्य एवं जिला स्तर पर मीडिया व सोशल मीडिया नोडल अधिकारियों के लिए उन्मुखीकरण सत्र आयोजित किए गए।
आयोग कार्यालयों में बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली और ई-ऑफिस प्रणाली लागू कर कागज रहित कार्यप्रणाली को बढ़ावा दिया गया है। मतदाता सूचना पर्ची को और अधिक उपयोगी बनाते हुए उस पर क्रम संख्या और भाग संख्या को प्रमुखता से दर्शाया गया है।
आयोग की ये सभी पहलें निर्वाचन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और आधुनिक बनाने में सहायक सिद्ध होंगी। हिमाचल प्रदेश इस दिशा में अग्रणी बनने के लिए संकल्पित है।
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डीसी ने असामाजिक तत्वों पर नियंत्रण को जारी की निषेधाज्ञा
ऊना, 24 मई. उपायुक्त एवं जिला दंडाधिकारी जतिन लाल ने ऊना जिले में सुरक्षा और शांति बनाए रखने के उद्देश्य से भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 के तहत एक निषेधाज्ञा जारी की है। जिले में नौकरी के बहाने आने वाले असामाजिक तत्वों पर नियंत्रण रखने के लिए जारी यह आदेश अगले 6 महीने तक लागू रहेंगे।
जिला दंडाधिकारी ने बताया कि कई लोग बिना अपने पहचान-पत्रों के सत्यापन के ऊना आते हैं और आजीविका कमाने के लिए छोटे व्यापारों और सेवाओं, जैसे शॉल विक्रेता, फेरी वाले, मोची, बर्तन मरम्मत करने वाले, या विभिन्न उद्योगों में ठेका श्रमिक के रूप में कार्यरत होते हैं। उनकी पृष्ठभूमि की जानकारी के अभाव और बिना सत्यापन के कई बार अपराध की रोकथाम में कठिनाई होती है, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो सकता है। इसके साथ ही, असामाजिक तत्वों की नौकरी चाहने वालों के वेश में जिले की शांति को भंग करने और जनता के जीवन एवं संपत्ति को हानि पहुँचाने की आशंका भी बनी रहती है।
इसलिए, सभी प्रवासी श्रमिकों का रोजगार के लिए सत्यापन अनिवार्य किया गया है। कोई भी नियोक्ता, ठेकेदार या व्यापारी प्रवासी श्रमिकों को उनकी पहचान और पासपोर्ट आकार की फोटो के संबंधित थाना अधिकारी (एसएचओ) के पास सत्यापन के बिना किसी भी गैर-औपचारिक रोजगार या ठेका कार्य में नियुक्त नहीं कर सकेगा। इसके अतिरिक्त, स्वयं रोजगार प्राप्त करने या छोटे व्यापारों में संलग्न होने वाले व्यक्तियों को अपने इरादों की जानकारी संबंधित थाना अधिकारी (एसएचओ) को देनी होगी।
सभी धार्मिक स्थल और परिसर, जहाँ ऐसे व्यक्ति आश्रय लेते हैं, को उनके पूरे रिकॉर्ड को रखने का निर्देश दिया गया है। कोई भी व्यक्ति पुलिस के साथ पंजीकरण कराए बिना इन संस्थानों में नहीं ठहर सकेगा। ऊना जिले के सभी उपमंडलीय पुलिस अधिकारियों को ऐसे व्यक्तियों पर कड़ी निगरानी रखने और नियमित रूप से इन गतिविधियों की समीक्षा करने के लिए निर्देशित किया गया है।
इन आदेशोें का उल्लंघन करने वाले प्रवासी अथवा नियोक्ता के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।