जिला प्रशासन ने बढ़ती गर्मी को लेकर जारी की एडवाजरी

ऊना, 21 मई - पिछले कुछ दिनों से जिला ऊना में बढ़ते तापमान को देखते हुए आगामी दिनों में गर्म हवाएं एवं लू चलने के आसार दिख रहे हैं, ऐसे में स्थानीय निवासियों को अपनी सेहत के प्रति सावधानियां बरतनी चाहिए। जिला आपदा प्रबंधन एवं प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने इस संदर्भ में एडवाजरी जारी की है। उन्होंने कहा कि लोग अपनी सेहत के प्रति सतर्क रहें। गर्म हवाएं एवं लू खतरनाक साबित हो सकती है।

*लू से सुरक्षा उपाय
उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने कहा कि जहां तक संभव हो कड़ी धूप में बाहर न निकलें। जितनी बार हो सके पानी पीयें, प्यास न भी लगे तो भी पानी पीयें। सफर में अपने साथ पीने का पानी हमेशा रखें। जब भी बाहर धूप में जायें हल्कें रंग के और ढीले-ढाले सूती कपड़े पहनें, धूप के चश्मे का इस्तेमाल करें, गमछे या टोपी से अपने सिर को ढकें और हमेशा जूते या चप्पल पहनें। अधिक तापमान में कठिन काम ना करें। जहां तक संभव हो कड़ी धूप में बाहर के काम से बचें। अगर आपका काम बाहर का है तो टोपी, गमछा या छाते का इस्तेमाल जरूर करें और गीले कपड़े को अपने चेहरे, सिर व गर्दन पर रखें। हल्का भोजन करें, अधिक पानी की मात्रा वाले फल जैसे तरबूज, खीरा, नींबू, संतरा आदि का सेवन करें तथा ज्यादा प्रोटीन वाले भोजन का सेवन ना करें जैसे - मांस व मेवे जो शारीरिक ताप को बढ़ाते हैं। घर में बना पेय जल जैसे कि लस्सी, नमक चीनी का घोल, छाछ, नींबू-पानी, आम का पन्ना इत्यादि का नियमित सेवन करें। बच्चों और पालतू जानवरों को पार्क किए हुए वाहनों में अकेला ना छोडें। जानवरों को छांव में रखें और उन्हें खूब पानी पीने को दें। अपने घर को ठंडा रखें, पर्दे, शटर आदि का इस्तेमाल करें। रात में खिड़कियां खुली रखें। स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान और आगामी तापमान में परिवर्तन के बारे में सतर्क रहें। अगर आपकी तबीयत ठीक ना लगे या चक्कर आए तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें।

*लू लगने पर क्या करें
उपायुक्त ने बताया कि सावधानी बरतने के बावजूद अगर किसी को लू लग जाए तो तुरंत व्यक्ति को छांव में लिटा दें। अगर तंग कपड़े हों तो ढीला कर दें अथवा हटा दें। ठंडे गीले कपड़े से शरीर पोछें या ठंडे पानी से नहलायें। व्यक्ति को ओ0 आर0 एस0, नींबू पानीध्नमक-चीनी का घोल पीने को दें, जो कि शरीर में जल की मात्रा को बढ़ा सके। यदि व्यक्ति पानी की उल्टियां करे या बेहोश हो, तो उसे कुछ भी खाने व पीने को न दें। लू लगे व्यक्ति की हालत में एक घंटे तक सुधार ना हो तो उसे तुरन्त नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में ले जाएं और चिकित्सक की सलाह लें।
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उपायुक्त ने इंदिरा गांधी खेल स्टेडियम में चल रहे विकास कार्यों का लिया जायजा
ऊना, 21 मई। उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने बुधवार को इंदिरा गांधी खेल स्टेडियम ऊना का दौरा किया और वहां इंडोर व आउटडोर स्टेडियम में चल रहे विभिन्न विकास कार्यों का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने निर्माण कार्यों की प्रगति की समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों को निर्माण कार्यों में तेजी लाने के साथ-साथ आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
उपायुक्त ने बताया कि इंदिरा गांधी खेल स्टेडियम में सामर्थ्य योजना के तहत आउटडोर स्टेडियम परिसर में एक आधुनिक बास्केटबॉल कोर्ट का निर्माण किया जा रहा है जिसका मकसद जिले के युवाओं को बेहतर खेल सुविधाएं उपलब्ध करवाना और उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए उपयुक्त मंच प्रदान करना है।
इस दौरान उपायुक्त ने वहां अभ्यास कर रहे खिलाड़ियों से भी बातचीत की और उनकी समस्याएं व सुझाव सुने। उन्होंने खिलाड़ियों को आश्वस्त किया कि जिला प्रशासन खेल सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए प्रतिबद्ध है और आने वाले समय में और भी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।
इस अवसर पर जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी उत्तम डोड सहित अन्य विभागीय अधिकारी भी उपस्थित रहे।
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अनुभव सूद की सफलता की कहानी में शहद की मिठास

मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के जरिए स्वरोजगार की मिसाल

मौन पालन से कमा रहे सालाना 30 लाख, 10 लाख शुद्ध मुनाफा, 10 युवाओं को रोजगार

ऊना, 21 मई. हिमाचल प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री मधु विकास योजना ने ऊना जिले के एक युवा की तकदीर ही बदल दी। अम्बोटा गांव के अनुभव सूद ने मात्र एक लाख रुपये की लागत से मौन पालन की शुरुआत की और आज वे सालाना 30 लाख रुपये की आय और इसमें सब खर्चे निकाल कर करीब 10 लाख रुपये का शुद्ध लाभ कमा रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने 10 अन्य लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार भी दिया है।
अनुभव की यह सफलता न केवल उनके लिए बल्कि स्वरोजगार की तलाश कर रहे प्रदेश के हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है। मौनपालन में उन्होंने ‘पहाड़ी शहद’ के नाम से अपने उत्पाद बाजार में उतारे हैं, जिनकी विभिन्न किस्में जैसे ब्लैक फोरेस्ट, ब्लैक डायमंड, मल्टी फ्लोरा, केसर, अकाशिया, अब हिमाचल की सीमाओं से बाहर भी अपनी मिठास बिखेर रही हैं।
मां से प्रेरणा, मेहनत से मुकाम
अनुभव बताते हैं कि उन्हें प्रेरणा उनकी माता श्रीमती निशा सूद से मिली, जो खुद फूड प्रोसेसिंग से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने बागवानी विभाग के माध्यम से नौणी विश्वविद्यालय, सोलन में एक माह और शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय, कटरा में 7 दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त किया। मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के अंतर्गत केवल 1 लाख रुपये की लागत में उन्होंने 25 बॉक्स से मौनपालन की शुरुआत की, जिसमें 80 फीसदी यानी 80 हजार तक अनुदान मिला। पहले साल में ही 48 हजार की आय और 25 हजार की बचत ने उन्हें आगे बढ़ने का हौसला दिया। इसके बाद प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत उन्होंने केनरा बैंक से 10 लाख रुपये का ऋण लेकर व्यवसाय को विस्तार दिया।
300 बॉक्स, 10 हजार किलो शहद
आज अनुभव सूद के पास 300 मधुमक्खी बॉक्स हैं। इनसे साल भर में लगभग 10 हजार किलो शहद का उत्पादन होता है। उन्होंने अपने उत्पादों को ‘पहाड़ी शहद’ ब्रांड से बाजार में उतारा है।
शहद की विविध किस्मों की अनोखी मिठास और प्रमाणित गुणवत्ता
अनुभव बताते हैं कि वे विभिन्न ऋतुओं में शहद उत्पादन के लिए मधुमक्खियों को हिमाचल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान तक माइग्रेट करते हैं। इस तकनीक से उन्हें बेहतर गुणवत्ता और विविधता वाला शहद मिलता है। इससे उन्हें मल्टी फ्लोरा, ब्लैक फॉरेस्ट, ब्लैक डायमंड, अकाशिया, सरसों और केसर हनी जैसी कई किस्मों के शहद प्राप्त होते हैं। अनुभव सूद द्वारा उत्पादित सभी शहद भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण से प्रमाणित हैं, जिनकी कीमत गुणवत्ता और किस्म के अनुसार 500 से 1200 रुपये प्रति किलोग्राम तक निर्धारित हैं। उन्होंने अपने मौन पालन व्यवसाय को विधिवत रूप से नेशनल बी-बोर्ड में पंजीकृत कराया है और अब तक 300 से अधिक मधुमक्खी बॉक्स 4 हजार रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिक्री कर चुके हैं।
इसके अतिरिक्त, अनुभव सूद नेशनल एकेडमी ऑफ रूडसेटी, बेंगलुरु से प्रमाणित प्रशिक्षक भी हैं और अब मौनपालन में रुचि रखने वाले युवाओं को व्यावहारिक प्रशिक्षण और मार्गदर्शन भी दे रहे हैं।
वे तत्तापानी और ठियोग में स्थापित आउटलेट्स के माध्यम से भी अपने शहद की ब्रिकी करते हैं। साथ ही वे हिमाचल प्रदेश सहित देशभर के प्रमुख सरस मेलों और प्रदर्शनियों में भी अपने उत्पादों को प्रदर्शित और विक्रय कर रहे हैं, जिससे पहाड़ी शहद की मिठास अब प्रदेश की सीमाओं से परे भी पहुंच रही है।
क्या कहते हैं अधिकारी
बागवानी उपनिदेशक ऊना डॉ केके भारद्वाज ने बताया कि मुख्यमंत्री मधु विकास योजना का उद्देश्य किसानों को राज्य में मधुमक्खी उत्पादों के उत्पादन और मधुमक्खी पालन के लिए प्रोत्साहित करना है। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन में शहद के अलावा भी कई अन्य उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। इन उत्पादों की भी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के अर्न्तगत मौन पालन के लिए मौन वंश के 50 बक्सों सहित 1.60 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। साथ ही मधुमक्खियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने पर 10,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। विभाग द्वारा मौन पालन में काम आने वाले उपकरणों की खरीद पर भी 80 प्रतिशत सबसिडी या 16,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।
उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने बताया कि मुख्यमंत्री मधु विकास योजना प्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण स्वावलंबन योजना है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वह इस योजना से जुड़ें और घर पर रह कर अपना स्वरोजगार शुरू करें। इसके लिए सभी किसान व बागवान पात्र हैं। इसके लिए बागवानी विभाग निशुल्क प्रशिक्षण करवाता है।