मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा बनी ऊना जिला के हजारों पशुपालकों के लिए वरदान
गांव की पगडंडियों से होकर बीमार मवेशियों के लिए घर-द्वार पहुंच रहा है इलाज
अब तक 2,076 मवेशियों का हुआ सफल उपचार, सरकार की पहल से सशक्त हो रही ग्रामीण अर्थव्यवस्था


ऊना, 1 अगस्त. गांव की पगडंडियों और खेत-खलिहानों से होकर अब बीमार मवेशियों के लिए इलाज खुद घर-द्वार तक पहुंच रहा है। ऊना जिले में शुरू हुई मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा पशुपालकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। मार्च 2024 से अब तक इस सेवा के माध्यम से 2,076 मवेशियों का निःशुल्क इलाज सीधे उनके घर-द्वार पर किया जा चुका है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले पशुपालन को मजबूत करने के उद्देश्य से शुरू की गई यह सेवा गांव-गांव तक राहत पहुंचा रही है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू हमेशा इस बात पर जोर देते हैं कि ग्रामीण जीवन से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए सेवाएं सीधे गांव तक पहुंचें। उनका कहना है कि गांव की खुशहाली तभी संभव है जब पशुपालकों और किसानों को मूलभूत सुविधाएं उनके दरवाज़े पर ही उपलब्ध हों। मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा इसी सोच का परिणाम है और इसका लाभ अब साफ दिखाई दे रहा है।

पशुपालन विभाग ऊना के उपनिदेशक डॉ. दिनेश परमार बताते हैं कि जिले में इस समय तीन मोबाइल वैन यूनिटें काम कर रही हैं। इनमें हरोली क्षेत्र की यूनिट ने 611, बंगाणा की 757 और ऊना की यूनिट ने 708 मवेशियों का सफल उपचार किया है।

*टोल फ्री नंबर 1962 पर करें कॉल
डॉ. परमार बताते हैं कि पशुपालक किसी भी आपात स्थिति में बीमार पशु के इलाज के लिए टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल करके इस सेवा का लाभ उठा सकते हैं। यह वैन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक उपलब्ध रहती है। तीन सदस्यीय टीम, जिसमें पशु चिकित्सक, वेटनरी सहायक और फार्मासिस्ट शमिल रहते हैं, घर-द्वार पर पहुंचकर निःशुल्क उपचार करती है। यह सेवा बेसहारा मवेशियों के लिए भी कारगर है। वहीं अब पशुपालकों को अपने मवेशियों को अस्पताल तक लाने की मशक्कत नहीं करनी पड़ती।

*लाभार्थी पशुपालकों ने सराही सेवा

ऊना में संचालित इन मोबाइल वैनों के लाभार्थी पशुपालकों ने इस पहल की खुलकर सराहना की है। जलग्रां निवासी लखविन्द्र सिंह की भैंस के टूटे सींग का उपचार हो या लाल सिंगी के सुरजीत सिंह की भैंस का एनोरेक्सिया, रिपोह मिसरां के बिट्टू की गाय और नेहरियां के विनोद शर्मा के बैल का इलाज, मोबाइल यूनिट ने हर बार समय पर राहत पहुंचाई। इसी तरह हरोली स्थित वैन ने कर्मपुर के जगदीश के मवेशी का ज्वर और भूख न लगने की समस्या, गोंदपुर बुल्ला के चंद्र मोहर के मवेशी का स्तन संक्रमण, भदसाली की किरना देवी के मवेशी की प्रसवोत्तर कमजोरी और अंदौरा के राकेश कुमार के मवेशी की त्वचा रोग जैसी समस्याओं का सफल उपचार किया। बंगाणा की वैन ने भी थेलेरियोसिस, पेट फूलना, कीड़ों के घाव और दस्त जैसी बीमारियों से ग्रस्त दर्जनों मवेशियों को जीवनदान दिया।

*ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती में सहायक
उपायुक्त ऊना जतिन लाल का कहना है कि इस सेवा से न केवल पशुओं को समय पर और बेहतर इलाज मिल रहा है बल्कि पशुपालकों को भी भारी राहत मिली है। यह पहल गांवों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर रही है और पशुपालन को अधिक सुरक्षित और टिकाऊ बना रही है।

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ऊना जिला में 1 से 7 अगस्त तक मनाया जाएगा विश्व स्तनपान सप्ताह - नरेंद्र कुमार
आंगनबाड़ी, आशा और स्वास्थ्य कार्यकर्ता के माध्यम से चलेगा व्यापक जनजागरूकता अभियान

ऊना, 1 अगस्त. जिला ऊना में आज(शुक्रवार) को जिला के सभी आंगनबाड़ी केद्रों में विश्व स्तनपान सप्ताह का शुभारंभ किया गया। जिला में 1364 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता और स्वास्थ्य कर्मी लोगों को स्तनपान के फायदों और उनके महत्व बारे जागरूक करेंगी। जिला कार्यक्रम अधिकारी (आईसीडीएस) नरेंद्र कुमार ने जानकारी दी कि जिले में स्तनपान के महत्व को लेकर पहली अगस्त से छेड़ा यह जनजागरूकता अभियान 7 अगस्त तक चलेगा ।
उन्होंने कहा कि विश्व स्तनपान सप्ताह मनाने का मुख्य उद्देश्य नवजात शिशुओं को कुपोषण से बचाना और उनके मानसिक एवं शारीरिक विकास को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि स्तनपान शिशुओं के लिए प्राकृतिक, पोषणयुक्त और रोग प्रतिरोधक शक्ति से भरपूर आहार है, जिससे उन्हें दस्त, निमोनिया और अन्य संक्रमणों से सुरक्षा मिलती है। वहीं, माताओं के स्वास्थ्य पर भी स्तनपान के अनेक लाभ हैं। इससे स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि (ओवरी) कैंसर और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम होता है। आपातकालीन परिस्थितियों में स्तनपान शिशुओं के लिए सबसे सुरक्षित, सुलभ और तुरंत उपलब्ध भोजन स्रोत बनता है।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष की थीम 'स्तनपान को प्राथमिकता दें, स्थायी सहायता प्रणालियां बनाएं' जिसका उद्देश्य माताओं और शिशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है। यह थीम माताओं को स्तनपान के लिए प्रोत्साहित करने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सहायता पर भी ध्यान दिलाती है।
उन्होंने बताया कि स्तनपान केवल शिशु और मां के स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि समाज और पर्यावरण की स्थिरता के लिए भी आवश्यक है।
इस मौके पर आंगनबाड़ी वर्करों ने पोस्टर मेकिंग के माध्यम से लोगों को जागरूकता संदेश दिया।