ऊना, 25 अक्तूबर। हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना (जायका) चरण-दो के तहत खंड परियोजना प्रबंधन इकाई ऊना द्वारा उप-परियोजना बबेहड़ में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला “कृषक समूहों की फसलों के पैटर्न की व्यवस्था“ आधारित विषय पर आयोजित हुई। कार्यशाला की अध्यक्षता खंड परियोजना प्रबंधक डॉ. गुलशन मनकोटिया ने की। उन्होंने किसानों के साथ परियोजना की रूपरेखा और इसके उद्देश्यों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। डॉ. मनकोटिया ने बताया कि यह परियोजना किसानों की खेती, आजीविका और जीवन स्तर में सुधार लाने के उद्देश्य से चलाई जा रही है।

उन्होंने किसानों को फसल चक्र के महत्व, मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के उपाय, तथा अधिक उत्पादन और लाभ देने वाली फसल व्यवस्था के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सही क्रॉपिंग पैटर्न अपनाने से न केवल भूमि की उर्वरक क्षमता बनी रहती है, बल्कि उत्पादन लागत कम कर अधिक मुनाफा भी प्राप्त किया जा सकता है।
कार्यक्रम के दौरान किसानों को दलहनी, तिलहनी और सब्जी फसलों की वैज्ञानिक खेती पद्धतियों से भी अवगत कराया गया।

कृषि विशेषज्ञ मनीषा शर्मा ने किसानों को गृह वाटिका (किचन गार्डन) के महत्व के बारे में बताया और उन्हें जैविक एवं ज़हरमुक्त खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने किसानों को लहसुन की फसल से संबंधित वैज्ञानिक जानकारी दी और उन्हें लहसुन की बिजाई के लिए बीज भी वितरित किए।

इस अवसर पर ग्राम पंचायत प्रधान ऋषि राणा, कृषक विकास संघ के प्रधान तिलक राज, तथा उपस्थित किसानों ने जायका परियोजना टीम का आभार व्यक्त किया और कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण शिविर किसानों के लिए अत्यंत उपयोगी हैं, क्योंकि ये उन्हें वैज्ञानिक कृषि तकनीकों से जोड़ने में सहायक सिद्ध होते हैं।