चंडीगढ़, 16 दिसंबर 2025:चंडीगढ़ विश्वविद्यालय द्वारा सेक्टर-17 चंडीगढ़ में होटल शिवालिकव्यू में ‘एडविजन: वार्षिक प्राचार्य सम्मेलन 2025 – कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में शिक्षा नेतृत्व की पुनर्कल्पना’ का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा के सरकारी एवं निजी विद्यालयों के 150 से अधिक प्राचार्यों ने भाग लिया और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के दौर में शिक्षा के भविष्य पर विचार-विमर्श किया।
सम्मेलन का उद्घाटन यूटी चंडीगढ़ प्रशासन के मुख्य सचिव श्री एच. राजेश प्रसाद ने मुख्य अतिथि के रूप में किया। यूटी चंडीगढ़ की उच्च शिक्षा अपर निदेशक, डॉ. राधिका सिंह विशिष्ट अतिथि थीं। इस अवसर पर वरिष्ठ शिक्षाविद् और शिक्षा क्षेत्र के प्रमुख भी उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि द्वारा क्षेत्र के 150 से अधिक विद्यालय प्राचार्यों को शैक्षणिक मानकों को ऊँचा उठाने और विद्यालय शिक्षा में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
सम्मेलन में एआई-सक्षम कक्षाओं, एआई के जिम्मेदार उपयोग और एआई आधारित करियर पथों पर विशेषज्ञ व्याख्यान प्रस्तुत किए गए तथा एआई-एकीकृत शिक्षण उपकरणों के प्रदर्शन भी हुए। पैनल चर्चा के माध्यम से विद्यालय प्रमुखों ने शिक्षण एवं विद्यालय प्रशासन में एआई को अपनाने से जुड़े अवसरों और चुनौतियों पर अपने व्यावहारिक अनुभव साझा किए।
सभा को संबोधित करते हुए मुख्य सचिव श्री एच. राजेश प्रसाद ने कहा कि ‘विकसित भारत 2047’ के राष्ट्रीय लक्ष्य को साकार करने में शिक्षक और शिक्षा नेतृत्व सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण की नींव शिक्षा के प्रारंभिक चरण से ही रखी जानी चाहिए, जहाँ बच्चों और युवाओं को समाज और देश के लिए सार्थक योगदान देने योग्य बनाया जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि तकनीकी प्रगति, अवसंरचना, कृषि, उद्योग और वित्तीय व्यवस्था विकास के लिए आवश्यक हैं, किंतु एक सच्चा विकसित राष्ट्र वही होता है जो नैतिक, समावेशी, शांतिपूर्ण और सामाजिक रूप से उत्तरदायी हो। ऐसे मूल्यों के संस्कार देने की जिम्मेदारी शिक्षकों के पास है।
मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग शिक्षा में सहायक शक्ति के रूप में किया जाना चाहिए, साथ ही इसके नैतिक और जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि छात्रों को तकनीक का विवेकपूर्ण उपयोग सिखाने के साथ-साथ उनकी रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और नैतिक मूल्यों के विकास में शिक्षक की भूमिका सदैव केंद्रीय रहेगी।
सम्मेलन के दौरान चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा के शिक्षा नेतृत्वकर्ताओं ने विचार व्यक्त किए कि एआई व्यक्तिगत शिक्षण, डेटा-आधारित मूल्यांकन और नवाचारी शिक्षण विधियों के माध्यम से शिक्षा को रूपांतरित कर रहा है। उन्होंने कहा कि एआई विद्यार्थियों की व्यक्तिगत सीखने की आवश्यकताओं की पहचान करने में सहायक है और उन्हें अपनी पूर्ण क्षमता तक पहुँचने में समर्थन देता है।
प्राचार्यों और विशेषज्ञों ने सहमति व्यक्त की कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप प्रारंभिक स्तर से ही एआई शिक्षा को शामिल किया जाना चाहिए और इसे केवल सहायक उपकरण नहीं, बल्कि शिक्षा की मूलभूत अवसंरचना के रूप में देखा जाना चाहिए।
क्लाउडईक्यू (cloudEQ) के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के उपाध्यक्ष श्री निशांत जोहर ने अपने संबोधन में कहा, “हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता के एक नए दौर के मुहाने पर खड़े हैं और इस युग में शिक्षा नेतृत्व की पुनर्कल्पना आवश्यक है। एआई ने हमें मानव बुद्धिमत्ता को बेहतर ढंग से समझने में मदद की है। यद्यपि मानव बुद्धिमत्ता का कोई विकल्प नहीं है, फिर भी एआई शिक्षा का नया पर्याय बनकर उभर रहा है। इस तकनीकी लहर के साथ हमें सकारात्मक रूप से आगे बढ़ना होगा और साथ ही छात्रों द्वारा एआई के सर्वोत्तम और जिम्मेदार उपयोग के लिए स्पष्ट नियम भी निर्धारित करने होंगे।”
इस अवसर पर चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रविराजा एन. सीताराम ने कहा कि शिक्षण, पाठ्यक्रम और अनुसंधान में एआई का एकीकरण भविष्य की चुनौतियों के लिए छात्रों को तैयार करने हेतु आवश्यक है, साथ ही समग्र और मूल्य-आधारित शिक्षा सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
सम्मेलन का समापन विद्यालयों और चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के बीच अनुसंधान, कौशल विकास और क्षमता निर्माण के क्षेत्रों में सहयोग को सुदृढ़ करने की साझा प्रतिबद्धता के साथ हुआ, जिससे भविष्य-उन्मुख शिक्षा को साकार किया जा सके।