CHANDIGARH, 16.12.25-लघु उद्योग भारती, चंडीगढ़ इकाई ने औद्योगिक क्षेत्र फेज-1 एवं फेज-2, चंडीगढ़ में स्थित लघु उद्योगों पर चंडीगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (CPDL) द्वारा बिजली के फिक्स्ड चार्ज में की गई अचानक और अत्यधिक बढ़ोतरी पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। बिना किसी पूर्व सूचना या परामर्श के फिक्स्ड चार्ज को ₹50 प्रति किलोवाट से बढ़ाकर ₹240 प्रति केवीए प्रति माह करना पूरी तरह अनुचित, तर्कहीन और अस्वीकार्य है


लघु उद्योग भारती का स्पष्ट कहना है कि यह निर्णय छोटे उद्योगों को चंडीगढ़ से बाहर करने की दिशा में एक और कदम प्रतीत होता है। पहले ही लघु उद्योगों पर कभी मिसयूज़ वायलेशन नोटिस, कभी फायर सेफ्टी नोटिस, गार्बेज टैक्स तथा अन्य कई प्रकार के करों का बोझ डाला जा रहा है। अब बिजली दरों में इस भारी बढ़ोतरी से लघु उद्योगों पर ऐसा आर्थिक दबाव पड़ गया है, जिससे उनके लिए संचालन करना लगभग असंभव हो गया है। ऐसे हालात में यह प्रश्न स्वाभाविक है कि इतने दबावों के बीच छोटा उद्यमी आखिर कैसे कार्य करेगा?

इस गंभीर विषय को लेकर लघु उद्योग भारती ने JERC (संयुक्त विद्युत नियामक आयोग) एवं CPDL को औपचारिक पत्र भेजकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। संगठन ने यह भी सवाल उठाया है कि फिक्स्ड चार्ज में की गई यह बढ़ोतरी तथा किलोवाट से केवीए में बदलाव किस सक्षम प्राधिकरण की स्वीकृति से किया गया है, जबकि पूर्व में शुल्क प्रति किलोवाट के आधार पर ही वसूला जाता था।

इस संबंध में श्री अवी भसीन, अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती, चंडीगढ़ इकाई ने कहा,
“लघु उद्योग इस शहर की पहचान हैं और रोजगार की रीढ़ हैं। लगातार नोटिस, टैक्स और अब महंगी बिजली के कारण छोटे उद्योग बंद होने की कगार पर हैं और उन्हें पड़ोसी राज्यों में पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है। निजी बिजली ऑपरेटर लाने का उद्देश्य व्यवस्था सुधारना था, न कि उद्योगों को समाप्त करना।”

लघु उद्योग भारती, चंडीगढ़ इकाई ने माननीय राज्यपाल एवं प्रशासक महोदय श्री गुलाब चंद कटारिया जी को ई-मेल के माध्यम से विनम्र अनुरोध किया है कि वे इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर लघु उद्योगों को राहत प्रदान करें, ताकि उन्हें चंडीगढ़ से पलायन करने से रोका जा सके।

साथ ही, JERC से भी औपचारिक अनुरोध किया गया है कि लघु उद्योगों पर लगाए गए बढ़े हुए फिक्स्ड चार्ज तुरंत वापस लिए जाएं, क्योंकि यह निर्णय छोटे व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर अत्यधिक और असहनीय आर्थिक बोझ डाल रहा है।