नीलोखेड़ी/करनाल, 15.08.25- हरियाणा ग्रामीण विकास संस्थान के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत कार्यरत विभागीय कर्मचारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. वीरेन्द्र सिंह चौहान ने प्रतिभागियों को संबोधित किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुशील मेहता द्वारा निदेशक का स्वागत एवं प्रतिभागियों से परिचय के साथ हुआ। प्रशिक्षण में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए खंड एवं जिला स्तर के कर्मचारियों ने अपने फील्ड अनुभव और सफलता की कहानियाँ साझा कीं, जिनसे अन्य प्रतिभागियों को प्रेरणा मिली।

अपने संबोधन में डॉ. चौहान ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन, कार्यों और विचारधारा पर विस्तार से चर्चा की। भारतीय जनसंघ के संस्थापक महामंत्री और अपने दौर के मौलिक चिंतक एवं विचारक पंडित उपाध्याय को उन्होंने तपस्वी सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में स्मरण किया। उन्होंने कहा कि पंडित जी ने भारत की प्राचीन चिंतन धारा से श्रेष्ठ तत्वों को संकलित कर एकात्म मानव दर्शन का वैचारिक अधिष्ठान तैयार किया, जो नए भारत के निर्माण के लिए मार्गदर्शक है।

डॉ. चौहान ने कहा कि वर्तमान में केंद्र और हरियाणा की सरकारें पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित अंत्योदय की सोच और एकात्म मानव दर्शन को आगे बढ़ा रही हैं। उन्होंने प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे भी इस दर्शन को आत्मसात करें, क्योंकि केवल आयातित विचारों के आधार पर भव्य भारत का निर्माण संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से स्वाधीनता के बाद देश की कमान जिन हाथों में रही, उन्होंने भारतीय संस्कृति और सनातन ज्ञान परंपरा को न तो गहराई से समझा और न ही उसका सम्मान किया।

कार्यक्रम में स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की सफलता पर भी चर्चा हुई। प्रतिभागियों ने बताया कि हरियाणा के विभिन्न जिलों में ये समूह ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहे हैं और वित्तीय समावेशन की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। आज हजारों महिलाएँ इन समूहों के माध्यम से स्वरोजगार अपना रही हैं, अपने परिवार की आय बढ़ा रही हैं और सामाजिक स्तर पर सशक्त हो रही हैं।

कुछ प्रतिभागियों ने प्रेरक कहानियाँ भी साझा कीं—जैसे महेन्द्रगढ़ जिले के एक समूह ने सिलाई-कढ़ाई के कार्य से सालाना लाखों रुपये का कारोबार शुरू किया; वहीं, फतेहाबाद की महिलाओं ने दुग्ध उत्पादन और विपणन से अपने गाँव में आर्थिक बदलाव लाया। इन अनुभवों ने साबित किया कि जब महिलाओं को सही मार्गदर्शन और सहयोग मिलता है, तो वे न केवल अपने परिवार को संवारती हैं बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा बनती हैं।

डॉ. चौहान ने इन सफलताओं की सराहना करते हुए कहा कि स्वयं सहायता समूह पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के सिद्धांत का जीवंत उदाहरण हैं, जहाँ समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को सशक्त बनाने की पहल होती है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन आभार ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने हरियाणा ग्रामीण विकास संस्थान के प्रयासों की सराहना की और भविष्य में भी ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जुड़ने की इच्छा व्यक्त की। इस अवसर पर हरियाणा ग्रामीण विकास संस्थान के संकाय सदस्य संदीप भारद्वाज, डॉ सुशील मेहता , कमलदीप सांगवान और सौरभ अरोड़ा भी उपस्थित रहे।