हमीरपुर 07 जुलाई। प्राचीन मंदिरों और अन्य धरोहरों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग की ओर से दो योजनाओं के तहत अनुदान राशि प्रदान की जाती है। इन्हीं योजनाओं के तहत जिला हमीरपुर के पुराने मंदिरों एवं अन्य धरोहरों के लिए भी विभाग धनराशि का प्रावधान करेगा।
जिला भाषा अधिकारी संतोष कुमार पटियाल ने बताया कि यह राशि सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए आवर्ती निधि योजना और धार्मिक संस्थानों, पुरातन स्मारकों व पुरास्थलों के लिए सहायता अनुदान योजना के अंतर्गत प्रदान की जाती है।

उन्होंने बताया कि आवर्ती निधि योजना के अतंर्गत वे मंदिर शामिल होंगे, जिनकी भूमि विभिन्न भू-सुधार अधिनियमों (1953 और 1972) के तहत मुजारों या सरकार में निहित हो गई है और आय के स्रोत न होने के कारण इन मंदिरों का रख-रखाव व पूजा-अर्चना का कार्य ठीक से नहीं हो पा रहा है।

जिला भाषा अधिकारी ने बताया कि आवर्ती निधि योजना के अंतर्गत प्राप्त अनुदान राशि से मंदिरों में पूजा अर्चना व रखरखाव के कार्यों के अलावा सीसीटीवी कैमरे इत्यादि आधुनिक उपकरण भी लगवाए जा सकते हैं। इन कार्यों के अलावा एकमुश्त अनुदान प्राप्त करके मंदिर परिसर में आय का साधन बढ़ाने के लिए सराय, दुकान या अन्य परिसंपत्तियांे का निर्माण भी करवाया जा सकता है।

धार्मिक संस्थानों, पुरातन स्मारकों व पुरास्थलों के लिए सहायता अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए ऐसे मंदिर पात्र हैं जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध तथा कम से कम 50 वर्ष पुराने हों।

जिला भाषा अधिकारी ने बताया कि दोनों योजनाओं के अनुसार जिला हमीरपुर के सभी पात्र मंदिर समितियां आवेदन के लिए निर्धारित प्रपत्र सलासी स्थित जिला भाषा अधिकारी कार्यालय से प्राप्त कर सकती हैं। दोनों योजनाओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए जिला भाषा अधिकारी कार्यालय के दूरभाष नंबर 01972-293630 या मोबाइल नंबर 82196-24178 पर संपर्क किया जा सकता है।