हमीरपुर 27 जून। मक्की की फसल में फॉल आर्मी वॉर्म कीट के प्रकोप की आशंका को देखते हुए कृषि विभाग ने किसानों से सावधानी बरतने की अपील की है।
विभाग के उपनिदेशक डॉ. शशिपाल अत्री ने बताया कि हमीरपुर जिले में लगभग 28 हजार हेक्टेयर भूमि पर मक्की की बिजाई हो चुकी है। उन्होंने बताया कि पिछले चार-पांच वर्षाें से जिला में फॉल आर्मी वॉर्म कीट मक्की की फसल को व्यापक क्षति पहुंचा रहा है।
इस कीट के संक्रमण की निगरानी के लिए विभागीय अधिकारियों की एक टीम का गठन किया है। इस टीम में कृषि विज्ञान केंद्र के कीट विज्ञान विषय वाद विशेषज्ञ, जिला कृषि अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी, आतमा परियोजना के उप परियोजना निदेशक और ब्लॉक स्तर पर विषय वाद विशेषज्ञ को शामिल किया गया है। ये अधिकारी नियमित रूप से फसल का निरीक्षण कर रहे हैं तथा कीट की पहचान, लक्षण और प्रबंधन के बारे में किसानों को जागरुक कर रहे हैं।
उपनिदेशक ने बताया कि जिला में 29 मई से 12 जून तक चलाए गए विकसित कृषि संकल्प अभियान के दौरान आयोजित किसान प्रशिक्षण शिविरों में भी किसानों को फॉल आर्मी वॉर्म के लक्षण और प्रबंधन के बारे में जागरुक किया गया।
डॉ. शशिपाल अत्री ने बताया कि इस कीट की सुंडी अवस्था मक्की की पत्तियों, पत्ती गोभ (भंवर) तथा तने को नुकसान पहुंचाकर फसल को पूरी तरह से नष्ट कर देती है। प्रारंभिक अवस्था में यह कीट पत्तों पर सूई जैसे छोटे-छोटे छेद करता है, जो बाद में बड़े अनियमित सुराखों में बदल जाते हैं। सुंडियां गोभ के अंदर छिपकर पत्तियों को खाती हैं तथा कई बार तने में घुसकर उसे खोखला कर देती हैं, जिससे पौधा मर जाता है। उपनिदेशक ने कहा कि जिन क्षेत्रों में मक्की की बीजाई 20-25 दिन पूर्व हो चुकी है, वहां इस कीट के प्रकोप की सूचना प्राप्त हुई है।
उन्होंने कहा कि अगर इसका प्रकोप 10 प्रतिशत से कम हो तो 5 मिलिलीटर नीम आधारित कीटनाशी प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। कीटग्रस्त पौधों को खेत से निकालकर गड्ढे में दबाकर नष्ट करें। यदि प्रकोप 10 प्रतिशत से अधिक हो तो 0.4 ग्राम एमामैक्टिन बेंजोएट 5 एसजी प्रति लीटर पानी, 0.4 मिलिलीटर स्पाइनेतोरम 11.7 एससी प्रति लीटर पानी, 0.4 मिलिलीटर क्लोरएन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 एससी (कोराजन) प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
उपनिदेशक ने बताया कि क्लोरएन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 एससी (कोराजन) विभाग के सभी खंड स्तरीय कार्यालयों में उपलब्ध करवा दी गई है। स्प्रे करते समय नोजल को मक्की के पत्ती गोभ की ओर निर्देशित करें ताकि कीटनाशक सीधे कीट पर प्रभावी हो सके। उन्होंने बताया कि मक्की की फूल आने की अवस्था से लेकर फसल कटाई तक किसी भी कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
उपनिदेशक ने जिला के किसानों को सलाह दी है कि वे नियमित रूप से अपनी फसल का निरीक्षण करें और आवश्यकतानुसार समय पर कीटनाशकों का छिड़काव करें।