चण्डीगढ़ : श्री चैतन्य गौड़ीय मठ सेक्टर 20 में भगवान श्री नरसिंह देव जी का प्रकट महोत्सव बड़ी श्रद्धा उल्लास व भक्ति भाव से मनाया गया। मठ के प्रवक्ता जयप्रकाश गुप्ता ने बताया कि सुबह मंगल आरती, प्रभात फेरी, कथा संकीर्तन, प्रवचन का आयोजन किया गया। भक्तों में सुबह से ही एक उल्लास का माहौल बना हुआ था।

गौड़ीय मठ चंडीगढ़ के प्रभारी दंडी स्वामी श्री वामन जी महाराज जी ने भक्तों को संबोधित करते कहा कि आज ही के दिन भगवान नरसिंह देव अपने भक्त की रक्षा के लिए इस धरातल पर प्रगट हुए थे। जब-जब धरती पर विपत्ती आई है भगवान विष्णु ने अपने भिन्न-भिन्न रूपों में अवतार लेकर भक्तों की रक्षा की। भगत प्रह्लाद का पिता राजा हिरण्यकश्यप दुष्ट प्रवृत्ति का था एवं भक्त प्रह्लाद को भगवान का नाम लेने के कारण उस पर बहुत ही ज्यादा अत्याचार कर रहा था। पहाड़ से गिराना, सांपों से कटवाना, जलती आग में बैठाना और भी कई तरह की यातनाएं दे रहा था। वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान श्री नरसिंह अवतरित हुए। हिरण्यकश्यप को वरदान था कि उसको कोई भी जीव जंतु मार नहीं सकता ना कोई आकाश में मार सकता है, ना धरती पर मार सकता है, ना घर के अंदर ना घर के बाहर, इसलिए भगवान ने नरसिंह रूप धारण कर अवतार लिया उनका मुख सिंह का था और शरीर मनुष्य का था घर की चौखट पर हिरनाकश्यप का वध कर अपने प्रिय भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी। भगवान नरसिंह देव जी को सर्व विघ्न विनाशक कहा जाता है , जीवन में किसी भी प्रकार के विघ्न आने पर उनके मंत्र का जाप करने से सब दुख विघ्नों का नाश होता है, और भगवान कृष्ण जी की भक्ति प्राप्त होती है, भक्तों ने आज व्रत रखकर भगवान श्री नरसिंह देव की विशेष रूप से सेवा आराधना की। भगवान श्री नरसिंह देव जी का पंचामृत से अभिषेक किया गया। भगवान का विशेष आकर्षक ढंग से श्रृंगार किया गया। भक्तों ने कीर्तन कर जय नरसिंह, नरसिंह भगवान की जय, हरे कृष्णा महामंत्र का जाप कर वातावरण शुद्ध कर दिया। सैकड़ों भक्तों ने कार्यक्रम के बाद फलाहार का प्रसाद ठंडे शरबत को ग्रहण किया