चण्डीगढ़, 13.03.24- : अखिल भारतीय कवि परिषद् ने आज अपनी मासिक काव्य गोष्ठी सैक्टर 33 में आयोजित की जिसकी अध्यक्षता कृष्ण कुमार शारदा, समाजसेवी एवं खादी प्रोत्साहक ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम विज और वशिष्ठ अतिथि राष्ट्रीय कवि डॉ. अनीश गर्ग रहे। कार्यक्रम का आरंभ सुरजीत धीर एवं नरिंदरपाल निंदी ने मां सरस्वती की वंदना से किया।

गोष्ठी का संचालन करते हुए डॉ. संगीता शर्मा "गीत" ने पढ़ा, "हो सका ना कभी, पर तमन्ना थी ये, "गीत" को प्यार मैं भी सिखाता कभी", इसके बाद डेज़ी बेदी ने कहा, "शाख से टूटा इक पत्ता हवाओं से अपना पता पूछता रहा", राशि श्रीवास्तव ने कहा, "मैं तुमको जीवन देता हूं, तुम मुझको क्या देते हो, दिन पर दिन मैं घटता जा रहा, क्या मेरी सुध लेते हो?" कवि वरिंदर चठ्ठा ने खूब कहा, कमजोर नीयत इंसान किसी का नहीं होता.. और बेजुबान इंसान ख़ुद का ही नहीं होता", नीरू मित्तल ने कहा, "कभी शिखर कभी पाताल रीत यही है, वक्त बना कभी किसी का मीत नहीं है", डॉ. अनीश गर्ग ने अपने अंदाज़ में कहा, "कुछ लम्हे मुट्ठी से चुपचाप फिसल गए...दिल लगाने की उम्र में, रोटी कमाने निकल गए", मुख्य अतिथि प्रेम विज ने कहा," वो कौन हो सकता है, जो वायु भी दे...छाया भी दे...वो मां ही हो सकती है"। इस कार्यक्रम में प्रेम विज, डॉ. अनीश गर्ग, वरिंदर चठ्ठा, नीरू मित्तल, डेज़ी बेदी, मुरारी लाल अरोड़ा 'आज़ाद', किरन आहूजा, राशि श्रीवास्तव, संगीता शर्मा कुन्द्रा ने भाग लिया।

कार्यक्रम के अंत में अध्यक्षीय संबोधन व्यक्त करते हुए केके शारदा ने कहा, "चंडीगढ़ साहित्यिक गतिविधियों का गढ़ बनता जा रहा है। निसंदेह साहित्य अपने सर्वश्रेष्ठ दौर से गुजर रहा है। आए हुए कवियों ने एक से बढ़कर एक बेहतर रचनाएं प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ कवि गुरदर्शन सिंह मावी ने आए हुए सभी कवियों का आभार व्यक्त किया।