चण्डीगढ़, 04.03.24- : संस्कार भारती एवं बृहस्पति कला केंद्र, चण्डीगढ़ के संयुक्त तत्वाधान में मासिक साहित्य सरिता का आयोजन टैगोर थियेटर में हुआ। संस्कार भारती के मार्गदर्शक प्रो. सौभाग्यवर्धन ने बताया कि इस काव्य गोष्ठी में ट्राई सिटी के नामी कवियों और शायरों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवियत्री संतोष गर्ग ने की।
कार्यक्रम के संचालक एवं संस्कार भारती के विधा प्रमुख डॉ. अनीश गर्ग ने वर्तमान दौर के चलन पर तंज कसते हुए कहा, "खोटे सिक्के अब बाज़ार चलाने लगे हैं...लोग पानी से आग जलाने लगे हैं", शायर भट्टी ने कहा, "बेशक उसका नाम अभी नवाबों नहीं आता। मिलती है रात जब अँधेरे से जानने उजाले के रहस्य कि जलने के उस विस्तार को क्यों अब तक भस्म हो जाना चाहिए था", वरिष्ठ कवि विजय कपूर ने कुछ यूं कहा, "नींद पूरी नहीं होती जब तक ख्वाबों में नहीं आता", अरुणा डोगरा ने पढ़ा, "बोझिल मन है तन थका, क्या पतझड़ ऋतुराज...वृद्ध अवस्था में सखी, कौन सुने आवाज़", दलजीत कौर ने कहा," बसंत आया तो है...डाली पर फूल मुस्काया तो है वीरान पेड़ पर हरी कोंपल फूटी तो है", बबिता कपूर ने कहा,"सोचने के लिए कुछ ऐसा होना चाहिए...कि छोटी सी खोपड़ी में कुटिल शिराएं सोच में पड़ जाएं"। संतोष गर्ग ने सभी आमंत्रित कवियों की कविताओं की समीक्षा की और अपनी पंक्तियां साझा की, "सब थक जाते हैं पर मैं नहीं थकती...सबको खिलाए बिना सबको सुलाए बिना मैं सो नहीं सकती"।
इस कार्यक्रम में मनोज सिंह, यश कांसल, गौतम शर्मा, सर्वजीत सिंह लहरी, विमल छिब्बर विशेष तौर पर उपस्थित रहे। संस्था के अध्यक्ष यशपाल कुमार ने आए हुए सभी कवियों एवं श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।