घुमारवीं (बिलासपुर), 13 नवम्बर: नगर एवं ग्राम नियोजन, आवास, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक एवं औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि आने वाले समय में स्कूलों में शिक्षा संवाद कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से स्कूलों के बच्चे और अभिभावक भाग लेंगे तथा शिक्षा क्षेत्र में होने वाले सुधारों की जरूरत पर चर्चा की जाएगी। राजेश धर्माणी आज डीएवी पब्लिक स्कूल घुमारवीं में आयोजित वार्षिक दिवस समारोह “आरोहण 2025” में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि शिक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जिसके माध्यम से आने वाले समाज का निर्माण होता है तथा भविष्य निर्माण में अध्यापकों, अभिभावकों सहित नीति निर्माताओं का भी अहम योगदान रहता है। उन्होंने कहा कि हमारा भविष्य वर्तमान समय ही तय करता है कि हम बच्चों को किस तरह की शिक्षा एवं संस्कार प्रदान करते हैं।
राजेश धर्माणी ने कहा कि बच्चों को रचनात्मक और नवोन्मेषी विचारों से सुसज्जित करने के लिए घर और विद्यालय में सकारात्मक माहौल आवश्यक है। उन्होंने माता-पिता और अध्यापकों से मिलकर ऐसा वातावरण तैयार करने का आह्वान किया जहां बच्चा अपनी कल्पना शक्ति, जिज्ञासा और नई सोच को स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर सके। उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में स्वामी विवेकानंद के विचारों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान का साधन नहीं, बल्कि भविष्य के समाज निर्माण की आधारशिला है। इस प्रक्रिया में अध्यापकों की अहम भूमिका है, जो न केवल नई पीढ़ी का भविष्य निर्माण करते हैं बल्कि एक दिशा भी प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने वर्ष 2026 तक देश का पहला पूर्ण हरित ऊर्जा राज्य बनने का संकल्प लिया है। इस दिशा में राज्य सरकार ने ठोस कदम उठाते हुए यह लक्ष्य निर्धारित किया है कि प्रदेश की कुल ऊर्जा खपत का लगभग 90 प्रतिशत भाग नवीकरणीय एवं हरित ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त किया जाएगा। प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने ई-टैक्सियों, ई-बसों और ई-ट्रकों की खरीद पर 40 से 50 प्रतिशत तक सब्सिडी का प्रावधान किया है। साथ ही सरकारी विभागों और कार्यालयों में पारंपरिक ईंधन वाले वाहनों की जगह ई-वाहनों को लाने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है।
राजेश धर्माणी ने कहा कि राज्य में सौर ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है। घरों, उद्योगों और संस्थानों को सौर ऊर्जा अपनाने पर सब्सिडी दी जा रही है ताकि राज्य स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके। इसके अतिरिक्त वृक्षारोपण अभियान और प्राकृतिक खेती को भी विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि कार्बन उत्सर्जन में कमी आए और जैव विविधता को संरक्षण मिल सके। साथ ही कहा कि प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को सरकार द्वारा विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जल संसाधनों का सतत प्रबंधन और छोटे पैमाने पर जलविद्युत परियोजनाओं का विकास हिमाचल की प्राथमिकताओं में शामिल है ताकि पारिस्थितिक संतुलन बना रहे। राज्य सरकार तकनीकी और वैज्ञानिक मूल्यांकन के माध्यम से हिमाचल को पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग के लिए प्रयासरत है।
तकनीकी शिक्षा मंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण केवल किसी एक राज्य या देश तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे विश्व का सामूहिक दायित्व है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, प्लास्टिक और समुद्री प्रदूषण, जैव विविधता की कमी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करना होगा ताकि आने वाली पीढ़ियां सुरक्षित रह सकें।
राजेश धर्माणी ने विद्यार्थियों को अपनी सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक गतिविधियों में निरंतर उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि यही युवा पीढ़ी हिमाचल को हरित, समृद्ध और आत्मनिर्भर राज्य बनाने में अग्रणी भूमिका निभाएगी।
इस अवसर पर उन्होंने स्कूली विद्यार्थियों द्वारा लगाई गई विज्ञान माॅंडल प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया तथा बच्चों के प्रयासों की सराहना की।
इससे पहले स्कूल के प्रधानाचार्य विनोद कुमार ने मुख्यातिथि का स्वागत किया तथा स्कूल की विभिन्न गतिविधियों की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की।
इस अवसर पर स्कूल के विद्यार्थियों ने विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों प्रस्तुत कीं। विद्यार्थियों ने “छोटी सी आशा” शीर्षक के तहत शिक्षा और मानसिक दबाव पर आधारित नृत्य-नाट्य की भी प्रस्तुति दी, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
इस मौके पर स्कूल के अध्यापक, बच्चों के अभिभावकों सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।