मुख्यमंत्री कार्प मत्स्य पालन योजना: ग्रामीण आजीविका व स्वरोजगार की नई राह
हिमाचल प्रदेश में मछली पालन से बदलेगा ग्रामीण अर्थव्यवस्था का स्वरूप
KANGRA,11.11.25-हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा आरंभ की गई मुख्यमंत्री कार्प मत्स्य पालन योजना राज्य के युवाओं, किसानों व ग्रामीण आबादी के लिए आजीविका का नया द्वार खोल रही है। सरकार का उद्देश्य पारंपरिक कृषि के साथ-साथ मत्स्य पालन को एक स्थायी व लाभकारी व्यवसाय के रूप में विकसित करना है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के उष्ण जलवायु वाले क्षेत्रों में मीठे पानी में कार्प मछली पालन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
*80 प्रतिशत तक अनुदान, युवाओं को प्राथमिकता
मत्स्य पालन विभाग के अनुसार, योजना के तहत तालाब निर्माण व प्रारंभिक वर्ष की इनपुट लागत (मछली बीज, चारा, औषधि आदि) पर सरकार द्वारा 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। प्रति हेक्टेयर 12.40 लाख रुपये की यूनिट लागत निर्धारित की गई है, जिसमें तालाब निर्माण के लिए 8.40 लाख रुपये तथा इनपुट सामग्री के लिए 4 लाख रुपये शामिल हैं। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि अधिक से अधिक युवा मत्स्य पालन से जुड़ें और आत्मनिर्भर बनें। ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना से न केवल रोजगार सृजन हो रहा है, बल्कि पोषण सुरक्षा भी सुनिश्चित हो रही है। योजना के तहत लाभार्थी के पास स्वामित्व भूमि या न्यूनतम सात वर्षों के लिए पट्टे पर ली गई भूमि होना आवश्यक है। आवेदन में बेरोजगार युवाओं, महिलाओं और अनुसूचित वर्ग के आवेदकों को प्राथमिकता दी जाती है। प्रति लाभार्थी न्यूनतम 0.05 हेक्टेयर और अधिकतम 1 हेक्टेयर तक तालाब निर्माण की अनुमति दी जाती है। योजना में शामिल होने से पहले मत्स्य विभाग द्वारा स्थल निरीक्षण व तकनीकी सलाह दी जाती है।
मत्स्य विभाग द्वारा लाभार्थियों को तकनीकी प्रशिक्षण, मत्स्य बीज आपूर्ति, रोग नियंत्रण, चारा प्रबंधन तथा विपणन सहायता भी उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके अतिरिक्त, मत्स्य सहकारी समितियों और समूहों को भी योजना में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि सामूहिक रूप से उत्पादन व विपणन नेटवर्क सुदृढ़ किया जा सके।
*मत्स्य पालन से आर्थिक सशक्तिकरण
तहसील नूरपुर गाँव परगना डाकघर बदुई के लवली कुमार बताते हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री कार्प मत्स्य पालन योजना के तहत एक लाख 39 हजार रुपये की सब्सिडी प्राप्त हुई है। विभाग द्वारा उन्हें मत्स्य बीज एवं अन्य आवश्यक सहायता भी प्रदान की गई है। लवली कुमार बताते हैं कि वे अब मछली पालन का कार्य सफलतापूर्वक कर रहे हैं, जिससे न केवल उन्हें स्वरोजगार मिला है, बल्कि वे दो अन्य व्यक्तियों को भी रोजगार का अवसर दे पा रहे हैं। वे इस योजना के लिए मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जी का आभार व्यक्त करते हुए कहते हैं कि इस योजना से गाँव के युवाओं को आय के नए साधन प्राप्त हो रहे हैं और वे आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं।
इसी प्रकार तहसील नूरपुर के गाँव परगना के राकेश कुमार बताते हैं कि उनके परिवार नेे विभाग की सहायता से मुख्यमंत्री मत्स्य पालन योजना के अंतर्गत तालाब का निर्माण करवाया है। इस योजना के तहत उन्हें सरकार द्वारा एक लाख 24 हजार रुपये की सब्सिडी प्रदान की गई है। राकेश कुमार बताते हैं कि इस कार्य में उनके साथ दो अन्य व्यक्ति भी जुड़े हुए हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है। वे भी मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
वहीं, तहसील फतेहपुर के गाँव जखाड़ा के रमेश चंद्र बताते हैं कि उन्हें इस योजना के तहत एक लाख 3 हजार रुपये की सब्सिडी प्राप्त हुई है, जिसके माध्यम से उन्होंने लगभग 1,050 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में तालाब का निर्माण करवाया है। वे बताते हैं कि विभाग की ओर से उन्हें मत्स्य बीज और फीड की भी सहायता प्राप्त हुई है। रमेश चंद्र कहते हैं कि इस योजना ने उन्हें स्वावलंबी बनने का अवसर दिया है और अब वे अपने साथ अन्य लोगों को भी इस कार्य से जोड़ने की दिशा में प्रयासरत हैं।
*लाभार्थियों को मिलता है 80 प्रतिशत अनुदान: सहायक निदेशक
सहायक निदेशक मत्स्य पालन पौंग जलाशय संदीप कुमार कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा आरंभ की गई मुख्यमंत्री मत्स्य पालन योजना राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा सामान्य वर्ग सभी श्रेणियों के लाभार्थियों को समान रूप से 80 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है। योजना के तहत एक हेक्टेयर तालाब के लिए 12 लाख 40 हजार रुपये की यूनिट लागत निर्धारित की गई है, जिसके अनुसार पात्र लाभार्थियों को 80 प्रतिशत अनुदान की वित्तीय सहायता दी जाती है। यह योजना ग्रामीण युवाओं के लिए आजीविका एवं आत्मनिर्भरता का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है। हिमाचल प्रदेश को कोई भी व्यक्ति इस योजना का लाभ उठाकर मत्स्य पालन के माध्यम से स्व-रोजगार शुरू कर सकता है।
*मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में युवाओं के पास अपार संभावनाएं: उपायुक्त हेमराज बैरवा
उपायुक्त हेम राज बैरवा कहते हैं कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सृदृढ़ करने के लिए सरकार द्वारा विशेष पहल की गई है, खासकर हमारे मछुआरा भाइयों के लिए एक अलग योजना चलाई जा रही है, जिसके अंतर्गत 80 प्रतिशत तक का अनुदान प्रदान किया जाता है। इस योजना का लाभ मुख्य रूप से पोंग बांध क्षेत्र और निचले इलाकों के लोगों ने उठाया है, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त होने का अवसर मिला है। इस योजना से लाभान्वित लोगों की सफलता कहानियाँ भी साझा की जा रही हैं, ताकि अन्य इच्छुक किसान एवं मछुआरे भी इससे प्रेरणा लेकर आवेदन कर सकें और इसका लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा कि सरकार के स्तर पर यह भी प्रयास किए जा रहे हैं कि पोंग बांध क्षेत्र में मत्स्य पालन के आधुनिकीकरण तथा फिश मार्केटिंग नेटवर्क को और मजबूत किया जाए। आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम जरूर दिखाई देंगे, जिससे न केवल मछुआरा समुदाय बल्कि संपूर्ण ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
उन्होेंने कहा कि सरकार स्थानीय संसाधनों के अनुरूप स्वरोजगार योजनाओं को बढ़ावा दे रही है। मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में हिमाचल के युवाओं के पास अपार संभावनाएं हैं सरकार उनकी हर संभव मदद कर रही है। मुख्यमंत्री कार्प मत्स्य पालन योजना न केवल ग्रामीण युवाओं के लिए स्वरोजगार का सशक्त माध्यम बन रही है, बल्कि यह प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को विविधता देने की दिशा में एक ठोस कदम है।
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कृषि विभाग में प्राइवेट सर्वेयर बनने का सुनहरा मौका - उप कृषि निदेशक, जिला काँगड़ा
विभिन्न फसलों के अंतर्गत कितना क्षेत्रफल है यह जानने के लिए कृषि विभाग द्वारा प्रत्येक गांब में हर किसान के खेतों का डिजिटल क्रोप सर्वे करवाया जाएगा I यह जानकारी देते हुए डॉ कुलदीप धीमान उप कृषि निदेशक जिला काँगड़ा ने बताया कि डिजिटल क्रोप सर्वे करने के लिए कृषि विभाग द्वारा प्राइवेट सर्वेयरों से आवेदन आमंत्रित किये गए हैं इच्छुक उम्मीदवार https:// hpdcs.agristack.gov.in/crop-survey-hp अथवा प्लेस्टोर से DCS Himachal Pradesh एप पर आवेदन कर सकते हैं I
उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रोप सर्वे करने से रबी और खरीफ मौसम में किस फसल का कितना उत्पादन होगा, इसका अनुमान लगाया जा सकेगा।साथ ही, इस उत्पादन के विपणन (मार्केटिंग) के संबंध में जिला स्तर पर तथा राज्य स्तर पर निर्णय लेने में सुविधा होगी। इससे किसानों को अपनी उपज उचित दामों पर बेचने में मदद मिलेगी। इसलिय जब भी किसानों के घर में ऐसे सर्वे करने के लिए सर्वेयर आयें तो अपने खेतों में लगी फसलों की सही जानकारी उपलव्ध करवाएं
डिजिटल क्रॉप सर्वे (Digital Crop Survey) करने तथा इस ऐप में किसानों का डाटा अपलोड करने के लिए कृषि विभाग द्वारा प्राइवेट सर्वेयर चयनित करने का निर्णय लिया गया है। प्रत्येक सर्वेयर को उनके द्वारा अपलोड किए गए किसानों के डाटा की संख्या के अनुसार उचित कमीशन प्रदान किया जाएगा। 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति, जैसे — पटवारी, पंचायत प्रतिनिधि, सहकारी समिति सचिव, आत्मा परियोजना के ए.टी.एम./बी.टी.एम., कृषि सखी, पशु सखी, अथवा बेरोजगार कृषि या उद्यान स्नातक आदि — इस प्राइवेट सर्वेयर के रूप में आवेदन कर सकते हैं।