धर्मशाला, 18 सितंबर: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सीकिंग मॉडर्न एप्लिकेशनस फाॅर रियल ट्रांसफरमेशन (स्मार्ट) के सहयोग से 17–18 सितम्बर, 2025 को धर्मशाला स्थित धौलाधार हिल्स रिजॉर्ट में दो दिवसीय समुदाय रेडियो जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थानों तथा किसान विज्ञान केन्द्रों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यशाला का उद्देश्य समुदाय रेडियो (सीआर) की स्थापना एवं संचालन संबंधी तकनीकी व नियामक प्रक्रियाओं की जानकारी देना तथा समुदाय रेडियो को सशक्तिकरण, समावेशन और विकास के प्रभावी उपकरण के रूप में प्रस्तुत करना रहा।
कार्यशाला का शुभारंभ स्मार्ट की संस्थापक निदेशक अर्चना कपूर द्वारा स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने कहा कि सामुदायिक रेडियो ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जो अपनी पहुँच में स्थानीय, सहभागी और समावेशी है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की निदेशक शिल्पा राव ने उद्घाटन संबोधन में महिला-नेतृत्व वाले संगठनों की भूमिका पर बल दिया और बताया कि उन्हें अतिरिक्त अनुदान भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
मंत्रालय से अमित द्विवेदी और विनय दहिया ने नीतिगत दिशा-निर्देशों और कम्युनिटी रेडियो सपोर्ट स्कीम पर विस्तृत जानकारी दी। स्थानीय साझेदार रेडियो गुंजन के निदेशक संदीप परमार ने कहा कि समुदाय रेडियो तभी प्रासंगिक है जब वह समुदाय से जुड़ा हो।
कार्यशाला में विभिन्न संचालित सामुदायिक रेडियो स्टेशनों – रेडियो गुंजन, हमारा एमएसपीआईसीएम
, रेडियो चितकारा, रेडियो अमलेला की आवाज़ और रेडियो नगर ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने यह बताया कि किस प्रकार रेडियो ने ग्रामीण समुदायों में जागरूकता, समस्या-समाधान और सामूहिक भागीदारी को बढ़ावा दिया है।
प्रतिभागियों को रेडियो गुंजन का दौरा भी कराया गया, जहाँ बीईसीआईएल
के विशेषज्ञों ने तकनीक और उपकरणों की जानकारी दी। साथ ही, "पावर वॉक" सत्र के माध्यम से प्रतिभागियों को अपने समुदायों की प्राथमिकताएँ तय करने और उनकी आवश्यकताओं के अनुसार कार्यक्रम डिज़ाइन करने का अभ्यास कराया गया।
अर्चना कपूर ने पुनः कहा कि “समुदाय रेडियो की वास्तविक शक्ति उसकी सामुदायिक स्वामित्व में निहित है।”
प्रतिभागियों ने व्यक्त किया कि यह कार्यशाला उनके लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है और अब वे अपने क्षेत्रों में सामुदायिक रेडियो स्थापित करने हेतु प्रेरित हैं।
उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला स्पष्ट करती है कि समुदाय रेडियो केवल सूचना का माध्यम नहीं, बल्कि सशक्तिकरण, जवाबदेही, स्थानीय शासन की मजबूती और समावेशी विकास का परिवर्तनकारी मंच है।
प्रतिभागियों के अनुभव
इस अवसर पर एचएआरपी शिमला के
गौरव बोस ने कहा कि
“अब मुझे समुदाय रेडियो की स्थापना की प्रक्रिया को लेकर पूर्ण स्पष्टता मिली है। वर्षों से जो संदेह थे, वे अब दूर हो गए हैं।”
शिखर चेतना संगठन (भिवानी, हरियाणा) के सुशील वर्मा कहते हैं कि
“सोशल मीडिया के इस युग में भी दूरदराज़ के क्षेत्रों के लिए समुदाय रेडियो आवश्यक है। यह आपदा के समय महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अधिकारों व हकदारी पर जागरूकता फैलाता है और महिलाओं व वंचित वर्गों को आवाज़ देता है।”