चंडीगढ़-19.09.22- जम्मू-कश्मीर के स्कूलों में बच्चों से महात्मा गांधी के प्रिय भजन 'रघुपति राघव राजा राम' गवाये जाने पर आपत्ति दर्ज करना अत्यंत छोटी और संकीर्ण सोच का सबूत है। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और आतंकियों की हिमायती महबूबा मुफ्ती ने 'ईश्वर' और 'अल्लाह' को एक तराजू में तोले जाने का विरोध कर अपनी जिहादी सोच का परिचय दिया है। महबूबा और उनकी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की कथित धर्मनिरपेक्षता की यही असलियत है। यह टिप्पणी हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष एवं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान ने आज यहां जारी एक वक्तव्य में की। वह कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री के उस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे जिसमें महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर के स्कूलों में मुस्लिम बच्चों से 'राम धुन' गवाये जाने पर कड़ा ऐतराज जताते इसे मुस्लिम आस्था के खिलाफ बताया है।

डॉ. चौहान ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में मुसलमानों सहित समाज के सभी वर्गों एवं समुदायों को साधने की कोशिश के तहत महात्मा गांधी ने प्रसिद्ध कवि लक्ष्मणाचार्य द्वारा रचित भजन 'रघुपति राघव राजा राम, शस्य श्यामला सीताराम' मैं फेरबदल कर इसे मुस्लिम फ्रेंडली बनाने की कोशिश की थी। भजन की कुछ पंक्तियों को हटाकर इसमें 'ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान' जोड़ा गया था जिसका उल्लेख मूल रचना में नहीं है।

डॉ. चौहान ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एकता कायम करने के लिए कई प्रयास किए थे जिनमें यह भजन भी शामिल है। मूल भजन में की गई इस तोड़फोड़ को मुस्लिम तुष्टीकरण के प्रयास के तौर पर देखा जाता है। महबूबा का बयान उस कथित 'गंगा-जमुनी तहजीब' का प्रपंच उजागर करता है जो देश में कहीं नजर नहीं आती।