घुमारवीं की डाबला सहकारी समिति को 3,000 मीट्रिक टन क्षमता वाले गोदाम निर्माण की मंजूरी
केंद्र सरकार की “विश्व का सबसे बड़ा अनाज भंडारण योजना” के तहत मिली स्वीकृति

बिलासपुर, 14 अगस्त 2025-जिला मुख्यालय स्थित बचत भवन में आयोजित जिला सहकारी विकास समिति की बैठक में डाबला कृषि सेवा सहकारी समिति, कोठी (घुमारवीं) के 3,000 मीट्रिक टन क्षमता वाले आधुनिक अनाज भंडारण गोदाम निर्माण प्रस्ताव को सिद्धांतगत स्वीकृति प्रदान की गई। बैठक की अध्यक्षता उपायुक्त बिलासपुर राहुल कुमार ने की। उन्होंने बताया कि यह स्वीकृति भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से हायरिंग आश्वासन प्राप्त होने के बाद प्रभावी होगी।

उपायुक्त ने कहा कि “विश्व का सबसे बड़ा अनाज भंडारण योजना” के अंतर्गत भारत सरकार एवं राज्य सहकारी विभाग की विभिन्न योजनाओं से समितियों को जोड़ने के लिए जागरूकता शिविर और वर्चुअल सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। जिसके तहत डाबला समिति की ओर से गोदाम निर्माण का प्रस्ताव मिला जिसे आज समिति द्वारा मंजूरी दी गई।

उन्होंने जिले की अन्य सक्षम व इच्छुक प्राथमिक कृषि ऋण समितियों से आह्वान किया कि पर्याप्त भूमि होने पर प्रारंभिक व्यवहार्यता रिपोर्ट के साथ अपना प्रस्ताव सहायक पंजीयक (एआरसीएस) कार्यालय में जमा करें।

उन्होंने बताया कि गोदाम निर्माण के लिए नाबार्ड से 1 से 3 प्रतिशत कम ब्याज दर पर ऋण सुविधा उपलब्ध होगी। निर्मित गोदामों को अनाज भंडारण के लिए एफसीआई और प्रदेश फूड कॉरपोरेशन को किराए पर दिया जा सकेगा, जिससे समितियों के लिए स्थायी आय का स्रोत तैयार होगा।

उपायुक्त ने कहा कि अनाज भंडारण क्षमता की कमी, भंडारण के अभाव में फसल का नुकसान, और किसानों को औने-पौने दाम पर उपज बेचने की मजबूरी—लंबे समय से देश की गंभीर चुनौतियां रही हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए भारत सरकार ने 31 मई 2023 को सहकारी क्षेत्र में “विश्व का सबसे बड़ा अनाज भंडारण योजना” को मंजूरी दी। इस योजना के तहत प्राथमिक कृषि ऋण समितियों में गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर, क्रय केंद्र और प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जाएंगी।

अब तक पायलट परियोजनाओं के अंतर्गत 11 राज्यों में 9,750 मीट्रिक टन क्षमता वाले गोदाम निर्माण पूरे हो चुके हैं, जबकि 500 समितियों में निर्माण कार्य का शिलान्यास हो चुका है। हालिया दिशा-निर्देशों के अनुसार, समितियां न्यूनतम 1,670 मीट्रिक टन क्षमता वाले गोदाम का निर्माण कर सकेंगी।

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मत्स्य आखेट वर्जित अवधि में विभाग की सख़्ती — अवैध मामलों में नया रिकॉर्ड

बिलासपुर, 14 अगस्त 2025-हिमाचल प्रदेश में मत्स्य आखेट के वर्जित काल के दौरान मत्स्य विभाग ने अवैध शिकार पर कड़ी निगरानी रखते हुए इस वर्ष 610 मामलों को पकड़कर नया मानदंड स्थापित किया है। इन मामलों से विभाग ने 5.593 लाख रूपए मुआवजे के रूप में वसूले, जो पिछले वर्ष की तुलना में 168 मामले और 2.66 लाख रूपए अधिक हैं।
यह जानकारी निदेशक मत्स्य विभाग विवेक चंदेल ने दी।


प्रदेश के जलाशयों और सामान्य जल स्रोतों से 12,000 से अधिक मछुआरे अपनी आजीविका अर्जित करते हैं। वर्तमान में गोविंदसागर, पौंग, चमेरा, कोलडैम और रणजीत सागर जलाशयों (कुल क्षेत्रफल लगभग 43,785 हैक्टेयर) में 5,900 से अधिक मछुआरे कार्यरत हैं, जबकि 2,400 किमी लंबाई वाले सामान्य जल स्रोतों में 6,000 से अधिक मछुआरे सक्रिय हैं। इन संसाधनों की सतत उपलब्धता और लोगों को प्रोटीन युक्त आहार के रूप में मछली उपलब्ध कराना, मत्स्य पालन विभाग की प्राथमिक जिम्मेदारी है।

प्रत्येक वर्ष 16 जून से 15 अगस्त तक सामान्य जलों में मत्स्य आखेट पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाता है, क्योंकि यह अधिकांश प्रजातियों के प्राकृतिक प्रजनन का समय होता है। इस अवधि में विभाग ने मत्स्य धन की सुरक्षा हेतु विशेष व्यवस्था की— गोविंदसागर में 19 और कोलडैम में 3 कैम्प सहित एक उड़न दस्ता, पौंग डैम में 17 कैम्प और एक उड़न दस्ता तथा चंबा में 3 कैम्प और एक उड़न दस्ता तैनात किए गए। जल व सड़क मार्गों से नियमित गश्त के साथ-साथ पैदल निगरानी भी की गई।

पिछले वर्ष 2024 में जहां 442 मामले दर्ज कर 2.93 लाख रूपए का मुआवजा वसूला गया था, वहीं इस वर्ष सहायक निदेशक, वरिष्ठ मत्स्य अधिकारी, मत्स्य अधिकारी, उप-निरीक्षक एवं क्षेत्रीय सहायकों के समर्पित प्रयासों से कार्रवाई में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।