धान और मक्की की फसलों का बीमा 15 जुलाई से पहले अवश्य कराएं : एडीएम शिल्पी वेक्टा
धर्मशाला, 27 जून -प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं मौसम आधारित फसल बीमा योजना के सफल क्रियान्वयन के उद्देश्य से कृषि विभाग द्वारा धर्मशाला में खरीफ 2025 फसल बीमा योजनाओं की जिला स्तरीय निगरानी समिति की बैठक आज शुक्रवार को आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता एडीएम काँगड़ा शिल्पी वेक्टा ने की।
एडीएम ने कहा कि इस खरीफ सीजन के लिए धान एवं मक्की की फसलों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में तथा गोभी, आलू और टमाटर की फसलों को मौसम आधारित फसल बीमा योजना में शामिल किया गया है। मक्की और धान के लिए क्षेमा जनरल इंश्योरेंस कंपनी तथा सब्जी फसलों के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड को बीमा प्रदाता नियुक्त किया गया है।
शिल्पी वेक्टा ने बताया कि किसानों को केवल 48 रुपये प्रति कनाल प्रीमियम देकर 2400 रुपये प्रति कनाल तक का बीमा कवरेज मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले फसल नुकसान की भरपाई के लिए एक प्रभावी सुरक्षा कवच प्रदान करती है। फसल बीमा कराने की अंतिम तिथि 15 जुलाई, 2025 निर्धारित की गई है।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष लगभग 4412 किसानों को 83.41 लाख रुपये का मुआवजा वितरित किया गया था तथा गेहूं की फसल के नुकसान का आंकलन कार्य भी प्रगति पर है।
एडीएम ने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड धारक ऋणी किसानों का बीमा स्वतः किया जाएगा जब तक वे बैंक को लिखित रूप से मना न करें। गैर ऋणी किसान लोक मित्र केंद्र, बैंक शाखा, अधिकृत एजेंट या पोर्टल के माध्यम से अपना बीमा करवा सकते हैं।
एडीएम ने किसानों से आग्रह किया कि वे 15 जुलाई से पहले फसल बीमा करवा लें ताकि संभावित प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से राहत मिल सके। अधिक जानकारी हेतु किसान अपने नजदीकी कृषि अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।
*यह रहे उपस्थित
उप कृषि निदेशक डॉ. कुलदीप धीमान, अग्रणी बैंक प्रबंधक एकता शर्मा, जिला राजस्व अधिकारी कार्यालय से विमला, कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक से सुमित मनकोटिया, क्षेमा जनरल इंश्योरेंस कंपनी से अरुण कुमार तथा एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया से नीरज कुमार बैठक में उपस्थित रहे।
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30 जून को टांडा रेंज में फायरिंग का अभ्यास
धर्मशाला, 27 जून: सहायक आयुक्त उपायुक्त, कांगडा स्थित धर्मशाला ने बताया कि टांडा फील्ड फायरिंग रेंज में भारतीय सेना द्वारा दिनांक 30 जून 2025 को सुबह 9 बजे से रात्री 10 बजे तक फायरिंग का अभ्यास किया जाएगा। उन्होंने ग्राम पंचायत कोहाला, कच्छयारी, खोली, घुरकड़ी व साथ लगते क्षेत्रों के लोगों से अपील की है कि इस दौरान वह फायरिंग रेंज में न स्वयं जाएं तथा अपने पालतु पशुओं को भी न जाने दें ताकि किसी भी प्रकार की जान माल की हानि से बचा जा सके।
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’प्रधानमन्त्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण योजना का महा आयोजन’
धर्मशाला 27 जून: विश्व एम एस एम ई दिवस के अवसर पर धर्मशाला स्थित डी आर डी ए हॉल में
जिला उद्योग केंद्र कांगड़ा के महा प्रबंधक श्री ओपी जरयाल की अध्यक्षता में एक कार्यशाला का
आयोजन किया गया। इस एक दिवसीय कार्यशाला में प्रधानमंत्री मंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण
योजना के बारे विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। इस अवसर पर निदेशालय उद्योग, शिमला
से प्रधानमंत्री खाद्य उद्यम योजना की टीम जिसमें जतिन बहल और आस्था नेगी शामिल रहे।
श्री ओपी जरयाल ने उपस्थित लोगों को स्कीम के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। बताया
गया कि 27 जून को विश्व एमएसएमई दिवस मनाया जाता है। यह दिन सूक्ष्म, लघु और मध्यम
उद्यमों के महत्व को मनाने और उनके योगदान को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है।
2017 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित, यह दिन नवाचार, रोजगार सृजन और सतत आर्थिक विकास
में एमएसएमई की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है। ’पीएमएफएमई योजना’ जिसका
पूरा नाम प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना है, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक सरकारी योजना है। इसका मुख्य उद्देश्य सूक्ष्म खाद्य
प्रसंस्करण उद्यमों को वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करना है ताकि वे
अपनी इकाइयों को आधुनिक बना सकें और उत्पादन, प्रसंस्करण, और विपणन में सुधार कर
सकें। कहा गया कि यह योजना ’आत्मनिर्भर भारत अभियान’ का भी हिस्सा है तथा इस योजना
का मुख्य उद्देश्य नए उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। बताया गया कि सूक्ष्म
खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को 35 प्रतिशत की दर से क्रेडिट-लिंक्ड पूंजीगत सब्सिडी (अधिकतम
10 लाख रुपये प्रति इकाई) प्रदान की जाती है। योजना में उद्यमों की क्षमताओं को बढ़ाने और
श्रमिकों के कौशल उन्नयन के लिए प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है। पीएमएफएमई योजना,
आत्मनिर्भर भारत अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैए जिसका उद्देश्य देश में सूक्ष्म खाद्य
प्रसंस्करण क्षेत्र को मजबूत करना है। इस कार्यशाला में विभिन्न स्वयं सहायता समूहए सहकारी
संस्थाएं, और छोटे खाद्य उद्यमों के प्रतिनिधि शामिल हुए। कहा गया कि सरकार की एक
जिला, एक उत्पाद नीति इस योजना की रीढ़ है। सरकार इन उत्पादों को राष्ट्रीय और वैश्विक
बाज़ारों तक पहुँचाने के लिए आक्रामक रणनीति पर काम कर रही है। कार्यशाला में बताया गया
कि सरकार न केवल उद्यमियों को वित्तीय मदद दे रही है, बल्कि उन्हें ब्रांडिंग, मार्केटिंग और
आधारभूत ढांचा जैसी सुविधाएं भी प्रदान कर रही है तथा उद्यमियों को भारत की अग्रिम पंक्ति
में खड़े होने का अवसर मिल रहा है तथा इस क्रांतिकारी योजना में भागीदारी अब सिर्फ एक
विकल्प नहीं, बल्कि आर्थिक स्वतंत्रता और औद्योगिक सशक्तिकरण की अनिवार्यता बन चुकी
है।