ऊना, 27 जून। किस्मत की दुश्वारियों से जूझती कविता के लिए हिमाचल की ‘सुक्खू सरकार’ सगे अभिभावक से कम नहीं है। ऊना जिले के जलग्रां टब्बा गांव की 24 वर्षीय कविता के सिर से छोटी उम्र में ही माता-पिता का साया उठ गया था। मौसी ने उसकी परवरिश की, लेकिन सीमित संसाधनों के कारण अनेक दिक्कतें थीं। और अब किशोर वय में आ चुकी कविता को आत्मनिर्भर बनाने और भविष्य को लेकर भी अनेक सवाल मुंह बाये खड़े थे। ऐसे में हिमाचल सरकार मां-बाप बनकर उसके साथ खड़ी हो गई।
इस अनाथ बेटी को हिमाचल प्रदेश की मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना ने वह सहारा दिया है, जो किसी परिवार का सगा अभिभावक ही दे सकता है। पहले उसे हर महीने चार हजार रुपये पॉकेट मनी और कौशल विकास कोर्स की मदद मिली, और अब विवाह के समय सरकार ने दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता देकर उसकी ज़िंदगी को एक नई दिशा दी है।
कविता बताती हैं कि जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने मुझे इस योजना के बारे में बताया, तो पहली बार महसूस हुआ कि कोई है जो हम जैसों की ज़िंदगी की फिक्र करता है। हमारे मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू और हिमाचल सरकार हमारे लिए सच्चे मायनों में अभिभावक हैं।
वे कहती हैं कि सरकार से हर महीने चार हजार रुपये की पॉकेट मनी मिलने से जीवन में गरिमा और सम्मान का अहसास हुआ। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने सिलाई-कढ़ाई का कौशल विकास भी कोर्स किया। अप्रैल 2024 में उनकी शादी हुई, जिसके लिए योजना के अंतर्गत 1.40 लाख रुपये सीधे बैंक खाते में भेजे गए और 60 हजार रुपये की एफडी बनाई गई।
*यह केवल सहायता नहीं, यह भरोसे का नाम है
कविता की मौसी चम्पा देवी, जिन्होंने उसकी परवरिश की, कहती हैं कि सरकार की मदद से न केवल पढ़ाई और शादी के खर्च पूरे हुए, बल्कि हमें सामाजिक सुरक्षा और सम्मान का भी अहसास हुआ। उनका कहना है कि यह सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि भरोसे का नाम है। इसके लिए मुख्यमंत्री जी का जितना धन्यवाद करें, कम है।

*ऊना में 9 बेटियों को मिला लाभ
एकीकृत बाल विकास परियोजना के जिला कार्यक्रम अधिकारी ऊना नरेंद्र कुमार बताते हैं कि मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के अंतर्गत निराश्रित बेटियों के विवाह के लिए दो लाख रुपये की सहायता दी जाती है। ऊना जिले में अब तक इस योजना के तहत 24 बेटियों को विवाह के लिए कुल 48 लाख रुपये की सहायता दी जा चुकी है। इसके अतिरिक्त योजना के तहत जिले में 294 बच्चों को सामाजिक सुरक्षा और स्वावलंबन गतिविधियों के लिए 3.11 करोड़ रुपये से अधिक की मदद दी जा चुकी है।
*सरकार निभा रही है सच्चे अभिभावक की भूमिका
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू का कहना है कि जिन बच्चों के माता-पिता नहीं हैं, उनके लिए सरकार ही माता-पिता है। हम न केवल उनका पालन-पोषण करेंगे, बल्कि उन्हें हर वह सहायता देंगे जो एक परिवार देता है।
मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, कोचिंग, आवास, भोजन, वस्त्र, भत्ता और विवाह जैसी सभी आवश्यकताओं की समुचित पूर्ति की जाती है। बच्चों को हर महीने 4000 रुपये पॉकेट मनी, कपड़ों का भत्ता और त्योहार भत्ता भी दिया जाता है। नामी शिक्षण संस्थानों में दाखिले और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। पात्र बच्चों को स्वयं का घर बनाने के लिए 3 बिस्वा भूमि और 3 लाख रुपये की आर्थिक मदद का प्रावधान भी किया गया है।
राज्य सरकार ने इन बच्चों को “चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट” का दर्जा देने का कानून बनाया है। इस प्रकार का कानून बनाने वाला हिमाचल देश का इकलौता राज्य है। यह सरकार की संवेदनशील सोच को दर्शाता है। अनाथ बच्चों को गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार देते हुए सरकार ने 27 वर्ष की आयु तक उनकी संपूर्ण देखभाल का जिम्मा लिया है।
*अब ट्रांसजेंडर, परित्यक्त बच्चे और एकल नारियां भी शामिल
जिला बाल संरक्षण अधिकारी कमलदीप बताते हैं कि सरकार ने अधिक से अधिक जरूरतमंद लोगों इसमें कवर करने के लिए योजना को विस्तार दिया है। इसमें अब ट्रांसजेंडर, परित्यक्त और सरेंडर बच्चे तथा एकल नारियां भी शामिल की गई हैं। योजना के तहत एकल नारियों को हर महीने 2500 रुपये की सामाजिक सुरक्षा राशि का प्रावधान है।
*क्या कहते हैं जिलाधीश
जिलाधीश ऊना जतिन लाल का कहना है कि मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना को ज़मीनी स्तर तक पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री श्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की संवेदनशील सोच के अनुरूप, हर पात्र लाभार्थी तक योजना की पहुंच सुनिश्चित की जा रही है।