ऐ जाते हुए लम्हो, जरा ठहरो.... -कमलेश भारतीय
*साल का यह आखरी दिन हैं। कल से नया साल आ रहा है। इस पर हमेशा की तरह ओशो का कथन याद आ रहा है कि न जाने हमने कितने वर्ष इसी सोच में बिता दिए कि नया वर्ष नया क्या लायेगा! हम खुद ही हर नये वर्ष को पुराना बनाने में देर नहीं लगाते क्योंकि कोई भी खुशी ज्यादा दिन नहीं टिकने वाली! न जाने हम कितने नये वर्षों को पुराना बना चुके हैं और कितने और वर्षों को इसी तरह पुराने बनाते जायेंगे!
Observer/Interview #147391 - 31-Dec-2023 03:57 PM