करनाल, 19.09.22- समाज परिवार का ही विस्तृत रूप है। इसलिए भारतीय चिंतन में पूरी पृथ्वी को ही अपना परिवार मानते हुए 'वसुधैव कुटुंबकम' की परिकल्पना की गई है। लेकिन चिंता की बात यह है कि इतने उदार और महान चिंतन वाले देश में भी अब परिवार की यह भावना संकट में है। सिमटती जा रही अपनत्व की इस भावना को मिल-जुलकर बचाना होगा। यह बात हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष एवं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने स्थानीय पंजाबी धर्मशाला में आयोजित 'हमारा परिवार' संस्था की असंध इकाई के पांचवें स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।

डॉ. चौहान ने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में वैचारिक प्रदूषण से बचकर रहना भी एक कठिन चुनौती है। हमारा 'परिवार भाव' मानव सभ्यता के प्रारंभ से ही भारतीय संस्कृति की ताकत और हमारी पहचान रहा है। भारतीय परंपरा में अतिथि को देवतुल्य समझा गया है। कभी मेहमानों के घर आने पर घर में उत्सव जैसा माहौल होता था। विस्तृत परिवार में 50-60 सदस्यों का खाना एक ही रसोई में एक ही छत के नीचे बना करता था। मातृसत्तात्मक और पितृसत्तात्मक परिवार की परिभाषा में उलझे पश्चिम के लोग हमारे पारिवारिक अपनत्व की भावना को हैरत से देखा करते थे जिसमें चाचा-चाची, भाई-बहन, बुआ-मौसी, ताऊ और दादा-दादी सबके लिए स्थान था। चिंता और अफसोस की बात है आज परिवार की हमारी परिभाषा भी पश्चिमी जगत की तरह पति-पत्नी और बच्चों तक सिमट कर रह गई है। यह भारतीय जीवन मूल्यों के क्षरण का प्रतीक है।

डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि परिवार मातृसत्ता अथवा पितृसत्ता से ऊपर की चीज है। परिवार में सिर्फ प्रेम और अपनत्व का भाव होना चाहिए, किसी सत्ता का नहीं। यह वैचारिक प्रदूषण पश्चिम की देन है। अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाना होगा। परिवार की पश्चिमी संकल्पना और भारतीय परिकल्पना में आसमान-जमीन का अंतर है। हमारी पहचान हमारे जीवन मूल्यों से ही है। इस धरोहर के मिटने का मतलब हमारी पहचान का मिट जाना है।

डॉ. चौहान ने बताया कि केंद्र सरकार ने भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों को बचाने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कई सारे उपाय किए हैं। इसे वर्ष 2040 तक पूरी तरह लागू करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन हरियाणा की मनोहर सरकार का कहना है कि हम 2040 तक का इंतजार नहीं कर सकते। हरियाणा सरकार ने वर्ष 2025 तक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के श्रेष्ठ तत्वों को तीव्र गति से लागू करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस पर कार्य शुरू भी हो चुका है।

हमारा परिवार संस्था के पांचवें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान के अलावा कार्यक्रम के अध्यक्ष गुरबख्शीस सिंह लाडी ने भी परिवार की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि यही भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी ताकत है। राजकीय महाविद्यालय के अवकाश प्राप्त प्रिंसिपल अशोक गाबा ने कहा कि भारतीय समाज को एकजुट रखने के लिए परिवार को बिखरने से रोकना होगा। इस कार्यक्रम में दीनबंधु मुरथल विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रवीण कुमार, संस्था के मंडल अध्यक्ष अमन गर्ग, और संयोजक डॉ. बूटी राम भी शामिल थे।