चण्डीगढ़, 31.12.25 : प्राचीन श्री शिव मंदिर, सैक्टर 33 में श्रीमद्भागवत कथा का शुभारम्भ भागवत भगवान जी की जय हो के जयकारों के साथ निकाली गई भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ। कथा के प्रथम दिवस में कथा व्यास आचार्य विवेक जोशी जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत एक दिव्य ग्रंथ है जिसमें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, और श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन है, जो मन को शांति और परम आनंद देता है। उन्होंने बताया कि भागवत महापुराण की उत्पत्ति भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का एक पावन और गूढ़ अध्याय है। पुराण परंपरा में श्रीमद्भागवत को भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का सार माना गया है। इसकी रचना महर्षि वेदव्यास ने की, जिन्होंने वेदों का संकलन, महाभारत और अठारह पुराणों की रचना के बावजूद अपने भीतर आत्मिक अपूर्णता का अनुभव किया, क्योंकि भक्ति-तत्त्व का पूर्ण और रसपूर्ण प्रकाशन अभी शेष था।
कथा के आयोजक सहजपाल परिवार ने खूब धूम धाम से ठाकुर जी और हरि भक्तों का स्वागत किया। आज की कथा में कृष्णा सहजपाल, जगदीप, रजनी, पवन, खुशी, आयुषी, वरिंदर, ज्योति, पूनम कोठारी, दीपा मेहता, भूपिंदर शर्मा, आनंद प्रकाश, सुनीता, रोहन, सुषमा, कीर्ति, तरुणा, प्रीति, आनंद और हरीश कोरंगा उपस्थित रहे।