चंडीगढ़, 16 नवम्बर — मुर्छना कल्चरल सोसाइटी (रजि.) द्वारा आज पंजाब कला भवन, चंडीगढ़ में एक यादगार संगीतमयी संध्या का आयोजन किया गया। इस वार्षिक उत्सव में महान संगीतकार जोड़ी शंकर–जयकिशन के निर्देशन में रचे गए स्वर्णिम युग (1949–1987) के 26 लोकप्रिय गीतों को प्रस्तुत किया गया।

कार्यक्रम में 7 से 70 वर्ष आयु वर्ग के कुल 46 गायकों ने बंगाल से लेकर कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और ट्राइसिटी क्षेत्र तक से भाग लिया। सभी कलाकारों ने लाइव ऑर्केस्ट्रा (जिसकी व्यवस्था डॉ. अरुण कांत ने की) के साथ गीत प्रस्तुत किए और पूरे वातावरण को सुरों से सराबोर कर दिया।

इन गीतों ने भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम युग की मधुर स्मृतियाँ ताज़ा कर दीं, धिरे धिरे चल, दिन सारा गुज़ारा तोरे अंगना, चले जाना ज़रा ठहरो, तुम रुठी रहो, मुझको अपने गले लगा लो, आदि और कार्यक्रम का समापन समूह गायन “जीना यहाँ, मरना यहाँ…” के साथ हुआ।

मुख्य अतिथि मे डॉ. नवरत्न मुंजाल और डॉ. अशोक गुप्ता तथा विशिष्ट अतिथियों मे श्रीमती सरबजीत कौर, पूर्व मेयर, चंडीगढ़, श्री जगतार सिंह जग्गा, पूर्व उप-मेयर, और डॉ. शैलजा छाबड़ा, प्राचार्या, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सेक्टर–1, पंचकुला शामिल हूए

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसके बाद डॉ. वी. पी. नागपाल, अध्यक्ष, ने सभी उपस्थित मेहमानों का स्वागत किया तथा शंकर–जयकिशन की अमूल्य संगीत विरासत पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम को सफल बनाने में सुचेता मुखोपाध्याय (महासचिव), अरुप मुखोपाध्याय, तरसेम राज, श्रीमती जागृति सूद, आर. के. गर्ग (सेकंड इनिंग्स एसोसिएशन, चंडीगढ़) तथा अनेक शुभचिंतकों का विशेष योगदान रहा।