हमीरपुर 16 नवंबर। हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देकर सुरक्षित खाद्यान्न पैदा करने तथा पर्यावरण का संरक्षण सुनिश्चित करने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक बेहतरीन मिसाल पेश कर चुके मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रयास बहुत ही उत्साहजनक परिणाम सामने ला रहे हैं। अब प्रदेश के कोने-कोने में हजारों किसान प्राकृतिक खेती को अपनाने लगे हैं और उनकी आय में अच्छी-खासी वृद्धि देखने को मिल रही है।
मुख्यमंत्री के अपने गृह विधानसभा क्षेत्र नादौन की ग्राम पंचायत ग्वालपत्थर में भी कई किसानों ने प्राकृतिक खेती में उत्कृष्ट कार्य किया है। इसी पंचायत के गांव जमनोटी के कमल किशोर आज प्राकृतिक खेती करके अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहे हैं। जमनोटी के साथ लगते गांव की एक और प्रगतिशील किसान कुसुम लता तथा उनके पति मदन लाल ने भी लगभग तीन वर्ष पहले कृषि विभाग की आतमा परियोजना के अधिकारियों की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से प्राकृतिक खेती को अपनाया और आज वे भी कई तरह की सब्जियां पैदा करके एक सीजन में ढाई से तीन लाख रुपये तक की आय अर्जित कर रहे हैं।
कुसुम लता ने बताया कि उनके पति मदन लाल होमगार्ड्स से रिटायर हुए हैं और अब अपनी लगभग 5 कनाल भूमि पर विशुद्ध रूप से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। आजकल उन्होंने मूली, फूल गोभी, बंद गोभी, पीली गोभी, ब्रॉकली, मटर और अन्य सब्जियां लगाई हैं। उन्होंने अपने खेतों में न तो कोई रासायनिक खाद डाली है और न ही किसी जहरीले रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग किया है।
इसी प्रकार, कमल किशोर भी अपने खेतों में केवल गोबर की खाद डाल रहे हैं और फसलों में कीड़ा इत्यादि लगने पर केवल जीवामृत और घर में ही तैयार किए जाने वाले अन्य घोल का छिड़काव कर रहे हैं।
उनका कहना है कि रासायनिक खाद और जहरीले कीटनाशकों के बजाय केवल गोबर, जीवामृत और घर में ही तैयार किए गए घोल का प्रयोग करने से उनकी खेती का खर्चा लगभग शून्य हो गया है तथा पैदावार भी अच्छी हो रही है। प्राकृतिक खेती से तैयार सब्जियां स्वास्थ्य के लिए भी सुरक्षित एवं पौष्टिक हैं और बाजार में इनके अच्छे दाम मिल रहे हैं। यानि प्राकृतिक खेती से उनका डबल फायदा हो रहा है। उन्हें बाजार से महंगे रासायनिक खाद और कीटनाशक खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ रही है और पैदावार भी अच्छी हो रही है। जमीन की उर्वरा शक्ति भी बनी रहती है।
इस प्रकार, प्राकृतिक ने ग्राम पंचायत ग्वालपत्थर के कई किसानों को खुशहाली की राह दिखाई है।