*माता श्री चिंतपूर्णी महोत्सव में सांस्कृतिक संध्याओं के लिए ऑडिशन 3 से*
ऊना, 26 अक्तूबर. माता श्री चिंतपूर्णी महोत्सव में सांस्कृतिक संध्याओं के लिए 3, 4 और 6 नवंबर को अंब कॉलेज में कलाकारों के ऑडिशन लिए जाएंगे। ऑडिशन 3 नवंबर को महाराणा प्रताप राजकीय कॉलेज अंब के सभागार में प्रातः 11 बजे से आरम्भ होंगे।
यह जानकारी देते हुए उपायुक्त जतिन लाल ने बताया कि ऑडिशन के लिए जिला लोक संपर्क अधिकारी ऊना की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। इसमें जिला भाषा अधिकारी ऊना, अंब कॉलेज की म्यूजिकल वोकल की सहायक प्रोफेसर तथा तहसीलदार अंब को सदस्य बनाया गया है। ये समिति सांस्कृतिक संध्याओं के लिए कलाकारों के ऑडिशन का जिम्मा देखेगी।
उन्होंने कहा कि नामी कलाकारों और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के प्रतिभागियों व पुरस्कार विजेताओं को ऑडिशन से छूट रहेगी। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए कलाकार एसडीएम कार्यालय अंब में आवेदन कर सकते हैं। ईमेल पते माता श्री चिंतपूर्णी महोत्सव एट दी रेट जीमेल डॉट कॉम पर भी आवेदन भेजे जा सकते हैं।
बता दें, धार्मिक एवं सांस्कृतिक पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाला माता श्री चिंतपूर्णी महोत्सव इस वर्ष 14 से 16 नवंबर तक श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष 26 से 28 सितम्बर तक अंब मैदान में आयोजित महोत्सव का प्रथम संस्करण अत्यंत सफल रहा था। इस आयोजन ने न केवल श्रद्धालुओं और पर्यटकों का मन मोहा, बल्कि इसे प्रदेश के धार्मिक एवं सांस्कृतिक कैलेंडर में एक विशिष्ट पहचान भी दिलाई। महोत्सव ने आस्था और लोक-संस्कृति के समन्वय से एक प्रेरणादायक सांस्कृतिक पहल के रूप में अपनी छाप छोड़ी।
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*समर्थ कार्यक्रम के तहत सुरक्षित भवन निर्माण पर जन जागरूकता अभियान सम्पन्न*
*गगरेट और शिववाड़ी में ग्रामीणों को दी आपदा जोखिम न्यूनीकरण व सुरक्षित भवन निर्माण की जानकारी*
ऊना, 26 अक्तूबर। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ऊना के “समर्थ 2025” कार्यक्रम के तहत आपदा प्रबंधन एवं सुरक्षित भवन निर्माण को लेकर चलाया गया जन जागरूकता अभियान रविवार को सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस अभियान के दौरान सूचना एवं जन संपर्क विभाग से सूचीबद्ध आर.के. कला मंच चिंतपूर्णी के कलाकारों ने गगरेट और शिववाड़ी क्षेत्रों में ग्रामीणों को आपदा जोखिम न्यूनीकरण तथा भूकंप-सुरक्षित भवन निर्माण की विभिन्न तकनीकों के बारे में जागरूक किया।
कलाकारों ने नाट्य एवं संवाद के माध्यम से ग्रामीणों को बताया कि भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान जान-माल के नुकसान को कम करने के लिए भूकंपरोधी मकान बनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन में सामूहिक प्रयासों से ही प्रभावी परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। इसलिए भवन निर्माण के समय ऐसी तकनीकों का उपयोग करें जो आपदा के समय अधिक सुरक्षित साबित हों।
उन्होंने ग्रामीणों को सुरक्षित भवन निर्माण की आवश्यक तकनीकी जानकारियाँ दीं, जिनमें उत्तम सीमेंट मोर्टार का उपयोग, क्षैतिज भूकंपरोधी बैंड का निर्माण, ईंट की दीवारों का सुदृढ़ीकरण, उद्घाटनों (दरवाजों व खिड़कियों) के पास जांब्स में खड़ी सुदृढ़ीकरण, पिलर निर्माण, पाइलिंग के सही तरीके, कंक्रीट की गुणवत्ता और नींव निर्माण में आवश्यक तत्वों का समुचित प्रयोग शामिल था। साथ ही यह भी आग्रह किया गया कि भवनों में किसी भी प्रकार का संरचनात्मक परिवर्तन करने से पहले अभियंता या विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें, ताकि भूकंप जैसी आपदाओं से होने वाले नुकसान को न्यूनतम किया जा सके।
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