CHANDIGARH, 28.04.22-प्राचीन कला केन्द्र द्वारा एक विशेष सांगीतिक संध्या का आयोजन केन्द्र के एम.एल.कौसर सभागार में सायं 6.30 बजे से किया गया । इस कार्यक्रम में कनाडा निवासी रमनीक सिंह ने अपने शास्त्रीय गायन की मधुर प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया । इस प्रस्तुति के दौरान कोविड नियमों जैसे मास्क एवं सामाजिक दूरी का पालन किया गया । इस अवसर पर केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर एवं केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ. शोभा कौसर भी उपस्थित थे

कनाडा में जन्मी रमनीक सिंह इंदौर घराने की युवा शास्त्रीय गायिका है । इन्होंने इंदौर घराने के महान उस्ताद अमीर खां साहिब से संगीत की शिक्षा प्राप्त की । इन्होंने ठुमरी, ख्याल, तराना, शब्द इत्यादि में महारत हासिल की । देश-विदेश के विभिन्न स्थानों पर अपनी प्रस्तुतियों से प्रसिद्धि हासिल की ।

आज के कार्यक्रम की शुरुआत राग मुल्तानी से की । पारम्परिक आलाप के पश्चात विलम्बित ख्याल में निबद्ध एक ताल की रचना गोकुल गांव के छोरा रे प्रस्तुत की । इसके पश्चात तीन ताल से सजी द्रुत ख्याल की बंदिश सुंदर सुरजनवा सईंया रे प्रस्तुत करके दर्शकों की तालियां बटोरी । इसक उपरांत स्वरचित तराना पेश करके रमनीक ने दर्शको को मंत्रमुग्ध कर दिया । इसके पश्चात राग धानी में आड़ा तीन ताल से सजी रचना चतुर बलमा सईंया मोरा पेश की । उपरांत राग देश से सजी शब्द जिसके सिर उपर तू स्वामी पेश किया और साथ ही राग खमाज में एक सुंदर ठुमरी कौन गली गयो श्याम पेश की ।

कार्यक्रम के अंत में रमनीक ने राग भैरवी से सजी पंजाबी लोक गीत हीर से समां बांध दिया। रमनीक ने संगीत के हर रंग पेश करके दर्शकों की प्रशंसा अर्जित की । इनके साथ मंच पर तबले पर महमूद खां एवं हारमोनियम पर राकेश कुमार ने संगत की ।

कार्यक्रम के अंत में श्री सजल कौसर एवं डॉ. शोभा कौसर ने कलाकारों को पुष्प देकर सम्मानित किया