CHANDIGARH,21.06.23-प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आज यहां वल्र्ड म्यूज़िक डे के अवसर पर एक संगीतमयी शाम का आयोजन किया गया । जिसमें दो युवा कलाकारों द्वारा शास्त्रीय गायन की खूबसूरत प्रस्तुति पेश की गई । इस कार्यक्रम का आयोजन प्राचीन कला केन्द्र के एम.एल.कौसर सभागार में सायं 6 30 बजे से किया गया । केन्द्र द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में कुरूक्षेत्र से आए शास्त्रीय गायक एवं हारमोनियम वादक डाॅ. तरूण जोशी तथा चंडीगढ़ की युवा शास्त्रीय गायिका शिम्पी कश्यप द्वारा मधुर गायन पेश किया गया ।

प्राचीन कला केन्द्र की रजिस्ट्रार एवं कत्थक गुरू डाॅ.शोभा कौसर ने इस अवसर पर युवा कलाकारों को आशीर्वाद भरे शब्दों से प्रोत्साहित किया । डाॅ. तरूण जोशी एक ऐसे उभरते कलाकार हैं जो किराना घराना से सम्बन्धित हैं । इन्होंने संगीत की शिक्षा प्रो.सुरेश गोपाल श्रीखंडे से प्राप्त की है । इसके अलावा हारमोनियम की शिक्षा इन्होंने पंडित दिनकर शर्मा से प्राप्त की । इन्होंने कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है ।

दूसरी ओर शिम्पी कश्यप ने बचपन से ही अपने दादा और पिता बनशंकर मिश्रा से संगीत की शिक्षा प्राप्त की और प्रभाकर कश्यप से शादी के बाद अपने पति से शिक्षा ग्रहण कर रही है । इन्होंने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है ।

कार्यक्रम की शुरूआत डाॅ. शिम्पी कश्यप द्वारा की गई जिसमें सबसे पहले उन्होंने राग मधुवंती में निबद्ध आलाप से कार्यक्रम शुरू किया । विलंबित एक ताल से सजी इस रचना के बोल थे ‘‘जाने न दूंगी श्याम’’ और इसके पश्चात शिम्पी ने एक ताल में विलम्बित रचना ‘‘नैना नहीं नेक धरे’’ प्रस्तुत की । कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए शिम्पी ने तीन ताल में निबद्ध रचना ‘‘बन ठन के चली आई नारी’’ पेश की । जिसे दर्शकों ने सराहा । शिम्पी ने कार्यक्रम के अंतिम भाग में राग खमाज पर आधारित दादरा ‘‘नजरीया लग जाएगी’’ पेश किया जिसे दर्शकों की खूब तालियां मिली । इनके साथ तबले पर चंडीगढ़ के युवा एवं प्रतिभाशाली तबलावादक रजनीश धीमान तथा हारमोनियम पर त्रिदेव कौशिक ने बखूबी संगत की ।

शिम्पी के मधुर गायन के पश्चात डाॅ.तरूण जोशी ने मंच संभाला । तरूण ने राग ‘जोग’ को चुना और पारम्परिक आलाप के बाद विलम्बित ख्याल एक ताल की रचना ‘‘हे सुघड़ वर पाइयो’’ पेश की । उपरांत द्रुत ख्याल तीन ताल से सजी बंदिश ‘‘पीर पराई जाने न’’ पेश करके दर्शकों का मन मोह लिया । कार्यक्रम का अंत डाॅ.तरूण ने एक खूबसूरत दादरा से किया जो राग मिश्र पीलू में निबद्ध था । दादरा के बोल थे ‘‘अब मान जाओ सईंया मैं परूं तेरे पईयां’’।
इनके साथ मंच पर कुरूक्षेत्र के युवा हारमोनियम वादक त्रिदेव कौशिक और तबला पर रजनीश धीमान की संगत ने कार्यक्रम को और भी सुरीला बना दिया । कार्यक्रम के अंत में डाॅ.शोभा कौसर द्वारा कलाकारों को उतरीया एवं मोमेंटो भेंट किया गया ।