CHANDIGARH,01.07.23-भारतीय षास्त्रीय कलाओं में गुरू-षिष्य परम्परा का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इसी परम्परा से जुड़ा पर्व है। गुरू- पूर्णिमा जिसमें सभी षिष्य अपने गुरू को नमन कर उनका आभार प्रकट करते हैं। गुरू-पूर्णिमा के पावन अवसर पर प्राचीन कला केन्द्र द्वारा दो दिवसीय विशेष संगीत और नृत्य संध्या का आयोजन किया जा रहा है। 1 एवं 2 जुलाई को किये जा रहे इस कार्यक्रम में केंद्र में संगीत एवं नृत्य की शिक्षा प्राप्त कर रहे विभिन्न छात्र अपनी कला एवं प्रतिभा का प्रदर्शन करके अपने गुरु के प्रति अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे। केंद्र के सैक्टर-35 स्थित एम एल कौसर सभागार में आयोजित इस संध्या के पहले दिन सायं 6 बजे संगीत की शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों द्वारा संगीत की बहुत सी प्रस्तुतियां पेश की गई। इस कार्यक्रम में लगभग 40 बच्चों ने भाग लिया

इस कार्यक्रम द्वारा छात्रों ने गुरू से प्राप्त संगीत कला की मंच प्रस्तुति देकर सही मायने में अपने गुरू का आभार प्रकट किया कार्यक्रम में अपने षिष्याओं का हौंसला बढ़ाने के लिए गुरु प्रवेश कुमार ,गुरु शिवानी अंगरीश ,गुरु शिम्पी कश्यप, गुरु चरणजीत कौर भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम का आरम्भ शिवानी के शिष्यों द्वारा किया गया राग भोपाली में निबद्ध एक गुरु भजन पेश किया गया। इसके उपरांत चरणजीत के शिष्यों द्वारा एक गुरु भजन जीके बोल थे हर पल हर दिन लेकर तेरा नाम प्रस्तुतु किया गय। इसके बाद राग भैरवी में छोटा ख्याल पेश किया गया जिसके बोल थे डगर चालत छेड़े श्याम और उसके बाद बच्चों ने राग दरबारी कान्हड़ा में एक बंदिश प्रस्तुत की।
उसके बाद प्रवेश कुमार ने शिष्यों ने द्रुत ख्याल में निबद्ध बंदिश पेश की उपरांत एक भजन प्रस्तुत किया
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए शिम्पी कश्यप के शिष्यों ने राग दरबारी में निबद्ध द्रुत ख्याल की बंदिश प्रस्तुत की उपरांत गुरु भजन ऐसी ही गुरु भावे पेश किया। कार्यक्रम के अंत में सूफ़िआना रंग से शाम का खूबसूरत समापन किया गया।
जसबीर सिंह के शिष्यत्व में शिष्यों द्वारा ऐरी सखी मोरे ख्वाजा घर आये और बुल्ले शाह की काफियां भी पेश की गयी।
कार्यक्रम के आंत में कज़ाकस्तान से आयी लुनारा जो की यहाँ केंद्र से गुरु शिष्य परंपरा के तहत कत्थक सीख रही है ने प्रसिद्द सूफी कलम दमदम मस्त कलंदर पेश करके ख्होब तालियां बटोरी।

कार्यक्रम के अंत में केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ शोभा कौसर ने सभी गुरुओं को बधाई देकर शिष्यों को प्रेरणा भरे शब्दों से प्रोत्साहन किया।

कल यानि रविवार को खूबसूरत कत्थक नृत्यों की प्रस्तुति पेश की जाएगी जिस में केंद्र के प्रांगण में कत्थक सीख रहे शिष्य अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मनोरंजन करेंगे और साथ ही केंद्र के विदेशों से आये छात्र में अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेंगे।