CHANDIGARH, 27.12.21-भारतीय संगीत एवं कला को पूर्ण रूप से समर्पित देश की अग्रणी सांस्कृतिक संस्था प्राचीन कला केन्द्र शरद ऋतु के आगमन पर संगीत की गरमाहट लाने हेतु दो दिवसीय हेमंतोत्सव का आयोजन करने जा रहा है । इस कार्यक्रम का आयोजन केन्द्र के एम.एल.कौसर सभागार में किया जा रहा है। पुणे की प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका सानिया पटानकर ने हेमंतोत्सव के पहले दिन एक सुरमई शाम को संजोया । सानिया एक संगीतमयी परिवार से ताल्लुक रखती है । सानिया ने कई महान गुरूओं से संगीत की शिक्षा प्राप्त की । इन्होंने लीलाताई घारपुरे,गणसरस्वती किशोरीताई अमोनकर एवं अश्विनी भिंडे देशपांडे जैसी महन गुरूओं से संगीत की बारीकियां सीखी ।

सानिया ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत राग ललितागौरी से की । जिसमें विलंबित त्रिताल में निबद्ध रचना प्रीतम सईंया प्रस्तुत की । इसके पश्चात राग गौरी में सजी रचना जो कि द्रुत एक ताल में निबद्ध थी,जिसके बोल थे देवी दुर्गे पेश करके माहौल को भक्तिमयी रंग में रंग दिया । सानिया ने अगली पेशकश में द्रुत तीन ताल में सजा सरगम गीत को पेश किया ।

कार्यक्रम के अगले भाग में हेमंत ऋतु के राग भिन्न शड़ज में निबद्ध रचना ‘‘ बरसात लागी जा रे जा रे’’ प्रस्तुत किया । कार्यक्रम के अंतिम भाग में एक खूबसूरत मराठी नाट्यगीत पेश किया और मधुर भजन ‘‘बाजे मुरलीया’’ से कार्यक्रम का समापन किया। इनके साथ मंच पर करूक्षेत्र के जाने माने हारमोनियम वादक तरूण जोशी ने बखूबी संगत की और साथ ही तबले पर शहर के जानेमाने तबला वादक आविर्भाव वर्मा ने संगत की ।

कार्यक्रम के अंत में केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर ने कलाकारों को पुष्प देकर सम्मानित किया । इस अवसर पर केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर एवं निदेशक श्री आशुतोष महाजन भी उपस्थित थे ।