CHANDIGARH,11.98.21-प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आयोजित संगीत अमृत महोत्सव द्वारा देश के जाने माने ग्रेमी अवार्ड विजेता पद्मभूषण मोहन वीणा वादक पंडित विश्व मोहन भट्ट ने लगभग बीस महीने के लंबे अंतराल के बाद वापसी की । सिर की कठिन सर्जरी के बाद उनका मंच पर आना उनके प्रेमियों के लिए खुशी का समय है ।

इस खास कार्यक्रम का आयोजन केन्द्र के 35 स्थित काम्पलैक्स के एम.एल.कौसर सभागार में सायं 6:30 बजे से किया गया । इसके साथ ही ऑनलाईन माध्यम द्वारा भी इस कार्यक्रम का प्रदर्शन किया गया । केन्द्र के फेसबुक एवं यूट्यूब चैनल पर इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया ।

कार्यक्रम की शुरुआत पंडित विश्व मोहन भट्ट द्वारा एकल प्रस्तुति से की गई । नए जीवन संचार से प्रफुल्लित पंडित विश्वमोहन भट्ट ने राग भूपाली में निबद्ध गणेश वंदना प्रस्तुत की जिसकी रचना उन्होंने स्वयं की थी । पंडित विश्वमोहन भट्ट ने अपने कार्यक्रम के लिए अपने पसंदीदा राग श्याम कल्याण को चुना । आलाप जोड़ झाला की प्रस्तुति में पंडित जी की अनंत रचनात्मकता,संयोजन और खूबसूरत क्रम परिवर्तन की झलक दिखाई दी । तबले पर पंडित हिमांशु मंहत की अनसुनी तिहाई की रोमांच दर्शकों को संगीत की मधुर दायरे से परे का एहसास करवा गया ।

कार्यक्रम के दूसरे भाग में पंडित विश्वमोहन भट्ट के साथ उनके सुपुत्र पंडित सलिल भट्ट द्वारा सात्विक वीणा का अद्भुत प्रदर्शन किया गया । श्रोताओं के लिए पंडित विश्वमोहन भट्ट के सौम्य सुखदायक संगीत के साथ पंडित सलिल भट्ट के जोरदार प्रदर्शन का आत्मसात एक अनोखी प्रस्तुति और यादगार पलों से सजी शाम के रूप में यादगार बन गया ।
इस कार्यक्रम के खास आकर्षण ए मीटिंग बाय द रिवर, जोग बलूज, वंदे मातरम,राष्ट्रगान एवं राजस्थानी कलाकार कुतला खान द्वारा बालम जी म्हारा थे ।
कार्यक्रम के अंत में केंद्र की रजिस्ट्ार गुरू शोभा कौसर,सचिव सजल कौसर एवं अन्य गणमान्य अतिथियों ने कलाकारों को सम्मानित किया । ये कार्यक्रम केन्द्र के ऐतिहासिक कार्यक्रमों में शुमार हो गया क्योंकि इस कार्यक्रम द्वारा पंडित विश्वमोहन भट्ट सरीखे विश्व प्रसिद्ध कलाकार की मंच वापसी का प्रयार्य बन गया ।