निसिंग,23.02.21- । मातृभाषा और अपनी बोली के प्रति लगाव और स्वाभिमान का भाव भावनाओं ठीक उसी तरह होना चाहिए जैसा ही माहौल और मातृभूमि के प्रति होता है। प्रत्येक हरियाणवी को अपनी बोली में गर्व के साथ बोलना चाहिए । हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष और निदेशक डॉ. वीरेन्द्र सिंह चौहान ने अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित रेडियो ग्रामोदय के एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की।

कार्यक्रम में हरियाणवी में गीत-कविताएँ लिखने वाले युवा लेखक गुलशन मीत और गायक नरेश निसिंग को विशेष रूप से प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया गया था। डॉ. चौहान ने कहा कि हरियाणा सरकार ने सभी सरकारी महकमों को अपना दैनंदिन कामकाज हिंदी में ही करने के लिए आदेश दिए हुए हैं। केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति में भी मातृभाषाओं के महत्व रेखांकित करते हुए भावनाओं प्राथमिक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा को बनाए जाने की बात कही गई है।

इस अवसर पर गीतकार गुलशन मीत ने कहा कि हरियाणवी में हवाओं हाल ही कि वर्षों में पंजाबी की तुलना में अच्छा लेखन कम हुआ है। फूहड़ लेखन और गायन को उन्होंने समाज के प्रति अपराध क़रार दिया।उन्होंने भ्रूण हत्या और गुळ ग़ौर संरक्षण जैसे सामाजिक सरोकारों से जुड़े हुए मसलों पर लिखी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की जिनमें से कुछ को भावनाओं गायक नरेश प्रजापति ने गाकर सुनाया। मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम में संकल्प लिया गया कि रेडियो ग्रामोदय को स्थानीय कलाकारों को उनकी कला निखारने में मददगार मंच के रूप में विकसित किया जाएगा।