CHANDIGARH, 12.12.25-चंडीगढ़ प्रदूषण नियंत्रण समिति (CPCC) ने स्वास्थ्य विभाग, चंडीगढ़ प्रशासन के सहयोग से आज सेक्टर-16 स्थित गवर्नमेंट मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के ऑडिटोरियम में “बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट” पर विस्तृत कार्यशाला का सफल आयोजन किया। यह कार्यक्रम “सुरक्षित निस्तारण, सुरक्षित जीवन” की थीम पर आधारित था, जिसका उद्देश्य बायोमेडिकल कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन और सुरक्षित निस्तारण की आवश्यकता पर बल देना था, ताकि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, चंडीगढ़ प्रशासन के पर्यावरण सचिव एवं स्वास्थ्य सचिव, श्री मनदीप सिंह बराड़, IAS, ने प्रेरणादायक संबोधन दिया। उन्होंने चंडीगढ़ के स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट को मजबूत बनाने में किए जा रहे सराहनीय प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन केवल नियामकीय दायित्व ही नहीं, बल्कि प्रत्येक स्वास्थ्य संस्था और स्वास्थ्यकर्मी का नैतिक और व्यावसायिक उत्तरदायित्व है। उन्होंने सामूहिक जिम्मेदारी, उन्नत प्रशिक्षण और नियामक संस्थाओं व स्वास्थ्य संस्थानों के बीच मजबूत साझेदारी का आह्वान किया, जिससे चंडीगढ़ बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट का राष्ट्रीय मॉडल बन सके।

सीपीसीसी के सदस्य सचिव, श्री सौरभ कुमार, IFS, ने मुख्य वक्ता के रूप में राज्य के बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन पर व्यापक और दूरदर्शी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहां बढ़ती स्वास्थ्य जरूरतें स्मार्ट, तकनीक-आधारित तथा सख्त नियामक प्रणालियों की मांग करती हैं।

कार्यशाला में बायोमेडिकल वेस्ट दिशानिर्देशों, चंडीगढ़ में क्या करें और क्या न करें, पीजीआईएमईआर के वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम, एनिमल बायोमेडिकल वेस्ट प्रथाओं, तथा गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, सेक्टर 32 की उत्कृष्ट प्रथाओं पर तकनीकी प्रस्तुतियाँ दी गईं। एक इंटरएक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र में प्रतिभागियों ने अपने अनुभव, चुनौतियाँ और संभावित समाधान साझा किए। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि द्वारा कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट एंड डिस्पोज़ल फैसिलिटी (CBWTF) द्वारा प्रस्तुत ई-वाहनों को हरी झंडी भी दिखाई गई।

सीपीसीसी ने दोहराया कि बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए नेतृत्व का सहयोग, संस्थागत अनुशासन और सक्रिय समन्वय अनिवार्य हैं—जोकि कार्यशाला के केंद्रीय संदेश “सुरक्षित निस्तारण, सुरक्षित जीवन” के अनुरूप है।