चंडीगढ़, 11 दिसंबरः पंजाब के राज्यपाल एवं प्रशासक, चंडीगढ़, श्री गुलाब चंद कटारिया के मार्गदर्शन में जुलासाप्ताहिक जनसुनवाई के माध्यम से चंडीगढ़ प्रशासन ने नागरिक-केंद्रित सुशासन को किया और अधिक सुदृढ़ई 2025 में प्रारंभ की गई साप्ताहिक जनसुनवाई व्यवस्था प्रशासन की पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित सुशासन के प्रति प्रतिबद्धता को निरंतर मजबूत कर रही है।
प्रशासक, चंडीगढ़ की अध्यक्षता में आयोजित आज की जनसुनवाई के उपरांत, मुख्य सचिव, चंडीगढ़, श्री एच राजेश प्रसाद ने बताया कि यद्यपि विभिन्न स्तरों पर पहले से ही जनसुनवाई की प्रणाली मौजूद थी, लेकिन वर्तमान राज्यपाल जी के निर्देशों से सभी कार्यालयों में शिकायत निवारण की प्रक्रिया में उल्लेखनीय तेजी आई है। उन्होंने कहा कि अब मामलों का निस्तारण सख्त समय-सीमा के भीतर सुनिश्चित किया जा रहा है, जिससे कार्यक्षमता और जवाबदेही में वृद्धि हुई है।
उन्होंने यह भी अवगत कराया कि इस वर्ष जुलाई से, चंडीगढ़ प्रशासक श्री गुलाब चंद कटारिया स्वयं यूटी सिविल सचिवालय में साप्ताहिक जनसुनवाई कर रहे हैं। अब तक कुल 95 शिकायतों की सुनवाई की गई है, जिनमें से 62 का सफलतापूर्वक समाधान किया जा चुका है, जबकि 33 मामले विभिन्न विभागों में सक्रिय प्रक्रिया में हैं।
मुख्य सचिव ने प्रशासक को आश्वस्त किया कि चंडीगढ़ प्रशासन शहरवासियों की सेवाओं को सर्वाेच्च प्राथमिकता, पूर्ण समर्पण और पारदर्शिता के साथ सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने पुनः पुष्टि की कि प्रशासन देश के सभी क्षेत्रों में चंडीगढ़ को नंबर एक शहर बनाने के लक्ष्य की दिशा में दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सभी विभागों को निर्देशित किया गया है कि वे वास्तविक जनसमस्याओं को प्राथमिकता दें, नियमित फॉलो-अप करें, और जवाबदेही एवं संवेदनशीलता के उच्च मानकों को बनाए रखें।
साप्ताहिक जनसुनवाई मंच प्रशासन और नागरिकों के बीच प्रत्यक्ष संवाद का एक प्रभावी माध्यम बना हुआ है, जिसके माध्यम से नागरिक अपनी समस्याएँ सीधे प्रस्तुत कर पा रहे हैं और प्रत्येक शिकायत को उचित ध्यान एवं न्यायपूर्ण विचार प्राप्त हो रहा है। चंडीगढ़ प्रशासन कुशल, पारदर्शी और जनता-प्रथम शासन प्रदान करने के अपने मिशन के प्रति पूर्णतः दृढ़ है।
चंडीगढ़ प्रशासक ने एक बार फिर निर्देश दिया कि सार्वजनिक शिकायतों का समाधान सर्वाेच्च प्राथमिकता पर किया जाए और वास्तविक समस्याओं का निवारण समयबद्ध ढंग से सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जिन समस्याओं का समाधान विधिक या नीतिगत कारणों से संभव नहीं है, उनमें सम्बंधित व्यक्तियों को समुचित कारणों सहित स्पष्ट रूप से अवगत कराया जाए।