सुखाश्रय योजना के तहत कांगड़ा जिला में खर्च किए दस करोड़ रूपये: डीसी
1241 निराश्रित बच्चों ने उठाया सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का लाभ
कौशल विकास, व्यवसायिक प्रशिक्षण तथा स्टार्ट अप पर करें विशेष फोक्स
सुखाश्रय कोष के माध्यम से भी निराश्रित बच्चों की कर सकते हैं मदद:
धर्मशाला 08 अगस्त। उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि सरकार की महत्वाकांक्षी सुखाश्रय योजना के तहत कांगड़ा जिला में दस करोड़ की राशि व्यय करके 1241 निराश्रित बच्चों को संबल प्रदान किया गया है।
शुक्रवार को डीसी कार्यालय में सुखाश्रय योजना की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि व्यवसायिक प्रशिक्षण के लिए 158 बच्चों को 41 लाख 19 हजार, कोचिंग के लिए तीन बच्चों को एक लाख 68 हजार, विवाह अनुदान के तौर पर अस्सी बच्चों को एक करोड़ 59 लाख, गृह निर्माण के लिए 122 बच्चों को एक करोड़ 22 लाख तथा सामाजिक सुरक्षा के तहत 878 बच्चों को छह करोड़ 55 लाख की राशि प्रदान की गई है। बैठक में उच्च शिक्षा व्यवसायिक प्रशिक्षण, विवाह अनुदान, गृह निर्माण तथा स्टार्ट अप के 58 लाख के 37 नए मामले भी स्वीकृत किए गए।
उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि 18 से 27 आयु वर्ग के निराश्रित बच्चों को व्यवसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास और कोचिंग के साथ साथ समाज के सक्रिय सदस्य बनने में मदद करने के लिए वित्तीय और संस्थागत लाभ प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि जमा दो की कक्षा उत्तीर्ण कर चुके निराश्रित बच्चों को कोचिंग के लिए एक लाख रूपये की आर्थिक मदद का प्रावधान किया गया है तथा स्किल डिवल्पमेंट तथा वोकेशनल कोर्स के लिए सरकार द्वारा पढ़ाई तथा हॉस्टल का खर्चा वहन किया जाएगा। उन्होंने उद्योग विभाग तथा ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि निराश्रित बच्चे अगर स्टार्ट अप आरंभ करना चाहते हैं उनकी रिपोर्ट बनाने में हर संभव मदद करें ताकि स्वरोजगार के माध्यम से अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर सकें।
उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि निराश्रित बच्चों की स्किल डिवल्मेंट के लिए काउंसलिंग करने के लिए कारगर कदम उठाए जाएंगे इस के लिए आईसीडीएस के अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए गए ताकि कौशल विकास के माध्यम से निराश्रित बच्चों का कैरियर बेहतर बन सके। उन्होंने कहा कि 27 वर्ष आयु से पहले हुए अनाथ बच्चों के भूमिहीन होने पर तीन विस्वा भूमि प्रदान करने का प्रावधान है इसके साथ ही आवास सुविधा के लिए तीन लाख के अनुदान का भी प्रावधान है।
सुखाश्रय कोष के माध्यम से भी निराश्रित बच्चों की कर सकते हैं मदद:
उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि जिला स्तर पर निराश्रित बच्चों की मदद के लिए जिला स्तर पर मुख्यमंत्री आश्रय कोष का प्रावधान किया गया है इसके तहत कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक धर्मशाला में खाता संख्या 50076640270 के माध्यम से कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से अंशदान कर सकता है इसमें 80 जी के तहत टैक्स में भी छूट रहेगी। इस कोष के माध्यम से निराश्रित बच्चों के लिए बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।
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शिटाके मशरूम की खेती और प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न
शिटाके मशरूम प्रशिक्षण केन्द्र पालमपुर में 19 किसानों ने लिया भाग
धर्मशाला, 8 अगस्त: जाइका (जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी) द्वारा समर्थित, हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना (चरण-दो) के तहत पालमपुर में स्थापित शिटाके मशरूम प्रशिक्षण केन्द्र में शिटाके मशरूम उत्पादन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिला परियोजना प्रबंधक कांगड़ा डाॅ. योगेंद्र कौशल ने किसानों को शिटाके की व्यावसायिक खेती कर अपना जीवनयापन का स्तर में सुधार लाने का आहवाहन किया। उन्होंने कहा कि शिटाके मशरूम खाद्य और औषधीय गुणों से युक्त एक मशरूम है इसकी खेती से किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकते है।
प्रशिक्षण शिविर में सपन ठाकुर, शिटाके डिसेमिनेटर व अंबिका देवी, विषयवाद विशेषज्ञ ने किसानों को शिटाके मशरूम की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी दी और मुख्यतः किसानों ने अपने आप ही पहले दिन से लेकर आखिरी दिन तक शिटाके उत्पादन किया। किसानों को शिटाके उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण मानकों के बारे में विस्तृत रूप से समझाया गया ताकि वे शिटाके उत्पादन में परिपक्व हो सकें।
01 से 06 अगस्त, 2025 तक इस प्रशिक्षण शिविर में खण्ड परियोजना प्रबंधक इकाई देहरा के नागनी कुहल कल्सटर के 19 किसानों ने भाग लिया। जिसमें की प्रवाह सिंचाई योजना वीरता पारुल कुहल के 02 किसान, प्रवाह सिंचाई योजना नागनी कुहल के 07 किसान, प्रवाह सिंचाई योजना दवाड़ कुहल के 04, प्रवाह सिंचाई योजना लोहारु-2 के 01, प्रवाह सिंचाई योजना मालती के 02 और प्रवाह सिंचाई योजना पारुल कुहल के 03 किसानों ने भाग लिया।
इसके उपरान्त 07 से 08 अगस्त 2025, को शिटाके मशरूम की कटाई के बाद प्रबंधन की जानकारी दी गई। यह प्रशिक्षण उन्हीं किसानों को दिया गया जिन्होंने पहले शिटाके मशरूम उत्पादन पर प्रशिक्षण लिया हुआ था। इस प्रशिक्षण शिविर में किसानों को तुड़ाई उपरांत शिटाके मशरूम के प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। किसानों को मशरूम कटाई, ग्रेडिंग, छंटाई व सुखाने के साथ-साथ इसके भंडारण, पैंकिग व मार्केटिंग के बारे मे बताया गया ।