पंचकूला13.08.23- : सड़क दुर्घटना में सीने में गंभीर चोट लगने से गंभीर रूप से घायल हुए 16 वर्षीय लड़के को पारस हेल्थ, पंचकूला के डॉक्टरों द्वारा सफलतापूर्वक इलाज करने के बाद नया जीवन मिला।
लड़के को शुरू में अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया लेकिन चोटों का इलाज नहीं हो सका। फिर उसे बेहद गंभीर हालत में पारस Hospital ले जाया गया।
जांच में उनके सीने की हड्डी (स्टर्नम) में फ्रैक्चर व छाती में लार्ज वेसेल में चोट पाई गई। इस ब्लड वेसेल से स्मॉल एम्बेली मस्तिष्क तक पहुंच गई, जिससे ऊपरी अंग कमजोर हो गया और जीवन के लिए खतरा पैदा हो गया था।
सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. राजन साहू ने जानकारी देते हुए कहा, "यह एक दुर्लभ मामला था और अब तक मेडिकल लिटरेचर में ऐसे केवल कुछ ही मामले सामने आए हैं। कोई अन्य अस्पताल इसे लेने के लिए तैयार नहीं था, लेकिन हमने समस्या को समझा और एक विशेष पैनल बनाया, डॉक्टरों ने चर्चा की और परिवार की मदद के लिए आगे बढ़े।''
डॉ. साहू के अलावा, पैनल में एसोसिएट डायरेक्टर सीटीवीएस डॉ. वीनू कौल, एसोसिएट डायरेक्टर न्यूरोलॉजी डॉ. अनुराग लांबा, एसोसिएट डायरेक्टर पल्मोनोलॉजी डॉ. एसके गुप्ता, एसोसिएट डायरेक्टर क्रिटिकल केयर डॉ. आशीष अरोड़ा और डॉ. अश्विनी के नेतृत्व वाली एनेस्थीसिया टीम शामिल थी।
यह छह घंटे लंबी सर्जरी थी और सर्जरी के दौरान कठिन परिस्थिति में एनेस्थीसिया देने के लिए दोनों फेफड़ों में अलग-अलग ट्यूबें डाली गईं।
डॉ. साहू ने कहा, जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली चोटें थीं क्योंकि भोजन नली (ग्रासनली) और श्वासनली में बड़े घाव के कारण छाती में गंभीर संक्रमण हो गया था।
डॉ. अश्विनी ने कहा, “सिर्फ सर्जरी ही नहीं, मरीज को एनेस्थीसिया देना भी एक चुनौती थी। उन्हें छोटे आकार की ट्यूबों के साथ दोनों फेफड़ों के लिए अलग-अलग वेंटिलेशन की आवश्यकता थी, ताकि इन ट्यूबों से श्वास नली की मरम्मत में बाधा न आए।”
कुछ दिनों तक मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया और उचित देखभाल की गई। धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से उन्हें वेंटिलेटर से बाहर निकाला गया. उनमें सुधार हुआ और स्थिर स्थिति में उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।