CHANDIGARH,12.02.23-प्राचीन कला केंद्र द्वारा हर माह आयोजित होने वाली मासिक बैठकों का सिलसिला निरंतर पिछले 24 वर्षों से जारी है। आज इन मासिक बैठकों
की 281वी कड़ी में दिल्ली से आये युवा एवं प्रतिभावान कत्थक नृतक विश्ववदीप द्वारा कत्थक नृत्य की ख़ूबसूरत प्रस्तुति पेश की गई। इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्र के एम एल कौसर सभागार में सायं छह बजे से किया गया।

आज के कलाकार विश्वदीप जयपुर घराने के युवा एवं प्रतिभावान कलाकार हैं , उन्होंने सबसे पहले गुरु नारायण प्रसाद जी से कत्थक की शिक्षा लेनी आरम्भ की , इसके उपरांत कत्थक केंद्र दिल्ली से गुरु नंदिनी सिंह वं गुरु प्रेरणा श्रीमाली से कत्थक की बारीकियां सीखी। कत्थक केंद्र से स्नातकोत्तर विश्वदीप ने केंद्र से विशारद का डिप्लोमा भी प्राप्त किया है। इन्होने ने अपनी विलक्षण प्रतिभा के बल पर देश ही नहीं विदेशों में भी अपने प्रदर्शन से प्रशंसा हासिल की है

आज की नृत्य प्रस्तुति का आधार भगवान श्री कृष्ण एवं देवादि देव महादेव हैं।भगवान श्री कृष्ण एवं शिव दोनों ही नृत्य कला के आराध्य के रूप में माने जाते हैं।आज की प्रस्तुति का प्रथम चरण 'कालिया दमन' है,यह भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं में से एक है,इस कथा का वर्णन कई धार्मिक ग्रंथों में है की कैसे कृष्ण खेल खेल में ही यमुना को एवं गोकुल को कालिया नाग के भय से मुक्त करते हैं। दूसरी प्रस्तुति में विश्वदीप ने एक ठुमरी पेश की जिसके बोल थे 'ऐसो हठीलो छैल मग रोकत है गिरधारी बनवारी'। इसके उपरांत प्रस्तुति के दूसरे चरण का आरंभ शिव की वंदना से है।इसमें शिव के स्वरूप का अद्भुत चित्रण है।शिव जहां एक ओर वैराग्य ,अघोर ,एकांत ,साधना प्रिय हैं वहीं दूसरी ओर पूर्ण परिवार के साथ गृहस्थ के रूप में भी पूजे जाते हैं। इसके बाद एक सुंदर कथानक नन्दनार पेश किया गया। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति चतुरंग से की गई। साहित्य, तराना, सरगम, नृत्य के बोल इन चारो के सुंदर समन्वय का दूसरा नाम है चतुरंग यह चतुरंग राग यमन और ताल तीन ताल में निबद्ध है ,चतुरंग संगीत के संपूर्ण वृक्ष की तरह है, जिसकी रसास्वादन से भाव की अनुभूति होती है . इस चतुरंग में बंदिशो के रूप में पखावज के बोलों को प्रयोग किया गया है एवं साहित्य के रूप में भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी की ध्वनि श्रवण के प्रतिफल का वर्णन किया गया है कथक के तकनीकी पक्ष, तबला और पखावज के सुंदर गठन से इसे पिरोया गया है।
कार्यक्रम के अंत में केंद्र की रजिस्ट्रार एवं कत्थक गुरु शोभा कौसर द्वारा पुष्प एवं मोमेंटो देकर विश्वदीप को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर केंद्र के सचिव श्री सजल कौसर भी उपस्थित थे