चण्डीगढ़, 06.12.22- : द एनवायरनमेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया, चण्डीगढ़ और डॉ. बीआर अम्बेडकर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, हरियाणा के तत्वावधान में एक पर्यावरणीय स्थिरता अर्थात वर्तमान स्थिति पर राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कार्यशाला आयोजित की गई। संगोष्ठी में 200 से अधिक नवोदित अधिवक्ताओं और पूरे संकाय के अलावा हरियाणा और आसपास के राज्यों के प्रमुख नागरिकों ने भाग लिया। विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों ने पर्यावरण, कृषि और बागवानी से जुड़े विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा और विचार विमर्श किया।

पर्यावरण सोसायटी ऑफ इंडिया के सचिव एनके झिंगन ने प्रतिभागियों को प्लास्टिक के दुष्प्रभाव दिखाने वाली वीडियो की प्रस्तुतियों दी। झिंगन ने सबसे अनुरोध किया कि वे अपने दैनिक जीवन में प्लास्टिक को नकारें और दूसरों को भी शिक्षित करें क्योंकि प्लास्टिक न केवल मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि पक्षियों और जानवरों के लिए भी खतरनाक है।

राष्ट्रीय वृक्ष प्रसादम फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. पीसी शर्मा ने कहा कि सरकारें तो प्लास्टिक पर रोक को लेकर कानून बनाती ही हैं, पर जब तक हम इसे सेल्फ इम्पोज़ नहीं करेंगे, तब तक ये पूरी तरह से सफल नहीं होगा। डॉ. ओपी प्रेमी ने प्रतिभागियों को किचन गार्डन के कचरे और पत्तियों को वर्मी कम्पोस्ट में बदलने के बारे में शिक्षित किया। भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान आईसीएआर, आईआईएसडब्ल्यूसी, चण्डीगढ़ के वैज्ञानिक डॉ. राम प्रसाद ने पानी के संरक्षण पर जोर दिया और रासायनिक के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया। जैविक खाद आधारित खेती और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए शिक्षित करने की अपील की। विश्वविद्यालय प्रबंधन और प्रतिभागियों द्वारा राष्ट्रीय मीट की सराहना की गई।

इस अवसर पर डॉ. बीआर अम्बेडकर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, सोनीपत की कुलपति डॉ. अर्चना मिश्रा व परीक्षा नियंत्रक डॉ. सुरेश धनेरवाल, द एनवायरनमेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया चण्डीगढ़ के कोषाध्यक्ष डॉ. रविंदर नाथ और इको-एक्टिविस्ट व क्रूसेडर सुश्री आरती सहित अनेक प्रमुख लोगों ने भाग लिया।