नैनो यूरिया केवल फोका पानी है जिसके इस्तेमाल करने से उपज घटती है: चौधरी अभय सिंह चौटाला

बीजेपी सरकार द्वारा फसलों की उपज के लिए नैनो यूरिया का जबरदस्ती इस्तेमाल कराने की मुहिम, किसानों के खिलाफ साजिश

पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी और दूसरे अनुसंधान केंद्रों की रिसर्च में पाया गया है कि नैनो यूरिया के इस्तेमाल से अनाज की पैदावार और क्वालिटी पर बुरा असर पड़ा है

रिसर्च ने बताया है कि दो नैनो-यूरिया स्प्रे में 50 प्रतिशत नाइट्रोजन मिलाकर ट्रीटमेंट करने पर चावल की पैदावार में 13 प्रतिशत और गेहूं की पैदावार में 17.2 प्रतिशत की कमी आई

चंडीगढ़, 10 दिसंबर। इंडियन नेशनल लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अभय सिंह चौटाला ने बीजेपी सरकार द्वारा किसानों को उसकी फसलों की उपज के लिए नैनो यूरिया का जबरदस्ती इस्तेमाल कराने की मुहिम को किसानों के खिलाफ साजिश बताते हुए कहा कि बीजेपी सरकार का यह कदम पूरी तरह से किसान विरोधी कदम है। नैनो यूरिया केवल फोका पानी है जिसके इस्तेमाल करने से उपज घटती है। किसानों पर नैनो यूरिया को जबरदस्ती थोपना बीजेपी सरकार की सबसे बड़ी धोखाधड़ी है। उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया की 500 एमएल की बोतल में मात्र 4 प्रतिशत नाइट्रोजन होता है जो धरती को सिर्फ 20 ग्राम नाइट्रोजन दे सकती है। जबकि सच्चाई यह है कि धान और गेहूं की फसल के लिए प्रति एकड़ 45 कि.ग्रा. ट्रेडिशनल यूरिया चाहिए जिसमें 46 प्रतिशत नाइट्रोजन होता है। इसलिए सरकार का यह दावा कि नैनो यूरिया का 20 ग्राम नाइट्रोजन, ट्रेडिशनल यूरिया के 20 कि.ग्रा. नाइट्रोजन के बराबर है, कोरा झूठ है।
अभय सिंह चौटाला ने कहा कि पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी और दूसरे अनुसंधान केंद्रों की रिसर्च में पाया गया है कि नैनो यूरिया के इस्तेमाल से अनाज की पैदावार और क्वालिटी पर बुरा असर पड़ा है। रिसर्च ने बताया है कि दो नैनो-यूरिया स्प्रे में 50 प्रतिशत नाइट्रोजन मिलाकर ट्रीटमेंट करने पर चावल की पैदावार में 13 प्रतिशत और गेहूं की पैदावार में 17.2 प्रतिशत की कमी आई। जबकि मिट्टी में 100 प्रतिशत नाइट्रोजन देने की पारंपरिक विधि से पैदावार में कोई कमी नहीं आती। केंद्रीय कृषि मंत्री भागीरथ चौधरी ने मंगलवार को सदन में कहा कि सरकार को पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी और दूसरे संस्थानों द्वारा नैनो यूरिया के इस्तेमाल पर की गई रिसर्च के बारे में पता है। इससे बीजेपी सरकार की गलत मंशा का पर्दाफाश भी होता है क्योंकि जब उन्हें पता है कि नैनो यूरिया से किसानों की फसल की उपज घटती है तो फिर भी सरकार नैनो यूरिया का जबरदस्ती इस्तेमाल कराने के लिए किसानों के पीछे हाथ धो कर क्यों पड़ी है।