शिमला: 26.08.25-आज दिनाँक 26 अगस्त, 2025 को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय विधि विभाग के 160, राजकीय महाविद्यालय दाड़लाघाट के 16 तथा राजकीय उच्च विद्यालय घाईघाट, जिला सोलन के 90 छात्र – छात्राओं ने विधान सभा सचिवालय पहुँचकर सदन के अन्दर मॉनसून सत्र के 7वें दिन की कार्यवाही को देखा। कार्यवाही देखने से पूर्व इन छात्रों ने विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप पठानियां से कौंसिल चैम्बर के बाहर मुलाकात की। इस अवसर पर छात्रों के साथ संवाद करते हुए विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने कहा कि कानून की पढ़ाई दिलचस्प तथा ज्ञानवर्धक है। विधान सभा अध्यक्ष ने अलग-अलग संस्थान से आए बच्चों से अलग-अलग मुलाकात की तथा छात्रों द्वारा पूछे गए सवालों के विस्तार से जवाब दिए।

इस अवसर पर पठानियां ने कहा कि वह स्वयं एक अधिवक्ता हैं तथा कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होने जिला चम्बा न्यायालय में जनवरी 1981 में वकालत शुरू कर दी थी लेकिन वर्ष 1985 में उन्होने भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा तथा सबसे कम उम्र के विधायक निर्वाचित हुए। उन्होने कहा कि कानून की पढ़ाई ही मेरी ताकत थी जिसके बलबूते उन्होने कई समस्याओं को पार किया तथा गरीबों को मुफ्त न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर छात्रों ने संसदीय प्रणाली, विधायकों की भूमिका, कौंसिल चैम्बर, केन्द्र- राज्य के सम्बन्धों तथा बजट से सम्बन्धी कई प्रश्न पूछे जिसका उन्होने सिलसिलेवार जवाब दिया।

उन्होने कहा कि उनका हमेशा प्रयास रहा है कि कोई भी व्यक्ति समाज में यदि उसके साथ अन्याय हुआ है उसे न्याय मिलना चाहिए ताकि वह भी इज्जत की जिदंगी जी सके। पठानियां ने कहा कि बतौर अधिवक्ता उन्होने पैसे को तब्बजो न देते हुए गरीबों, असहाय, प्रताड़ितों तथा शोषितों को न्याय दिलाने का प्रयास किया है।

पठानियां ने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सरकार के तीन अंग है। ये तीनों मिलकर शासन का कार्य करते है तथा कानून-व्यवस्था बनाए रखने और जनता का कल्याण करने में योगदान देते हैं। संविधान यह सुनिश्चित करता है कि ये सभी एक दूसरे से तालमेल बना कर काम करें और आपस में संतुलन बनाए रखें। संसदीय व्यवस्था में कार्यपालिका और विधायिका एक-दूसरे पर आश्रित है, विधायिका कार्यपालिका को ने केवल नियंत्रित करती है बल्कि उससे नियंत्रित भी होती है।

उन्होने कहा कि कार्यपालिका सरकार का वह अंग है जो विधायिका द्वारा स्वीकृत नीतियों और कानूनों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है। कार्यपालिका प्रायः नीति निर्माण में भी भाग लेती है। जबकि न्यायपालिका का मूल काम हमारे संविधान में लिखे कानून का पालन करना और करवाना है तथा कानून का पालन न करने वालो को दंडित करने का अधिकार भी इसे प्राप्त है। विशेषकर विधि विभाग के छात्रों को सम्बोधित करते हुए पठानियां ने कहा कि देश के अधिकतर स्वतंत्रता सैनानी बैरिस्टर थे जो बाहर के देशों से कानून की पढ़ाई कर स्वदेश लौटे थे। उन महापुरूषों जिसमें महात्मा गांधी, मोती लाल नेहरू, पण्डित जवाहर लाल नेहरू, विठ्ठलभाई पटेल, सरदार पटेल, सुभाष चन्द्र बोस जैसे सरीखे नेता शामिल थे जिन्होने भारत में लोगों को जहाँ सामाजिक न्याय दिलाया वहीं अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश किया। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष ने छात्रों को आज होने वाली कार्यवाही से अवगत करवाते हुए उन्हें सदन की कार्यवाही को देखने के लिए भी आमंत्रित किया। उन्होंने सभी छात्र- छात्राओं को अपनी ओर से अनंत शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।